Dilip Jaiswal: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) में बड़ा उलटफेर हुआ है। गुरुवार आधी रात पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) का पत्ता साफ करते हुए दिलीप जायसवाल को कमान सौंपी है। केंद्रीय नेतृत्व ने सम्राट चौधरी को एक साल के भीतर ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया। दिलीप जायसवाल वर्तमान में नीतीश सरकार (Nitish government) में भूमि सुधार और राजस्व मंत्री हैं। BJP के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जायसवाल को प्रदेश में अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly election) से पहले बड़ी जिम्मेदारी दी है।

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बता दें कि दिलीप जायसवाल वैश्य समाज से आते हैं। सीमांचल में अच्छी राजनीतिक पकड़ है। बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। भूमि सुधार मंत्री के रूप में काम कर रहे दिलीप जायसवाल को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी हैमूल रूप से खगड़िया जिले के रहने वाले जायसवाल तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य हैं। बिहार प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।

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प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर दिलीप जायसवाल ने कहा कि मीडिया से जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझे बिहार बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। मैं नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट करता हूं. मेरी एक ही प्राथमिकता होगी कि संगठन को मजबूत करूं। कार्यकर्ताओं को सम्मान देते हुए आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में एनडीए की मजबूत सरकार बने।

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रोडमैप के बारे में जायसवाल ने कहा कि मुझे पूर्ववर्ती बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बताए रास्ते, उनके प्रबंधन, और उनकी सोच को आगे बढ़ाना है और पार्टी को मजबूत बनाना है। कार्यकर्ताओं को सम्मान देना है।

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दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के मायने

दिलीप जायसवाल अतिपिछड़ा वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने बिहार में अतिपिछड़ा वोटबैंक को साधने और इसपर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखने के लिए लगातार काम करती रही है। अतिपिछड़ा वोटबैंक को जोड़कर रखने के लिए दिलीप जायसवाल पर पार्टी ने भरोसा जताया है। सम्राट चौधरी से ठीक पहले इसी समाज से संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
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चौधरी अपनी ही जाति के वोट नहीं दिला सके

भाजपा में एक ही समय में किसी व्यक्ति के पद पर बने रहने का कोई प्रावधान नहीं हैं. लेकिन, लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन ने सम्राट चौधरी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो पार्टी के लिए अपनी जाति, कुशवाहा और कोइरी के वोट हासिल करने में विफल रहे। इसके परिणामस्वरूप भाजपा ने बिहार में लड़ी गई 17 सीटों में से केवल 12 पर ही जीत हासिल की। उनके लिए इससे भी बुरी बात यह रही कि पारंपरिक रूप से भाजपा का वोट बैंक रहा कुशवाहा वोट बैंक राजद में चला गया, क्योंकि लालू प्रसाद ने लोकसभा चुनाव में कुशवाहा समुदाय के सात उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

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