Dimapur Shiv Temple: नागालैंड में ईसाई धर्म के प्रभुत्व के बावजूद, दीमापुर शिव मंदिर की लोकप्रियता राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव का प्रमाण है. कहा जाता है कि एक बार एक आदिवासी अपनी पत्नी के साथ रोजी-रोटी कमाने के लिए रंगापहाड़ रिजर्व फॉरेस्ट में गया था. उसने एक पत्थर पर अपना चाकू तेज किया, लेकिन जैसे ही उसने चाकू को रगड़ा, पत्थर से एक तरल पदार्थ निकलने लगा. यह देखकर आदिवासी घबरा गया और जंगल छोड़कर भाग गया.

रात में, उसने सपना देखा कि वही पत्थर एक संत के रूप में प्रकट हुआ और उसने खुद को भगवान शिव बताया. संत ने उसे जंगल में एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया. सुबह उठने पर, आदिवासी ने इसे महज एक सपना समझकर नजरअंदाज कर दिया. हालांकि, यह सपना उसे लगातार तीन और बार आया. चौथी बार, संत ने चेतावनी दी कि अगर उसने मंदिर नहीं बनाया, तो उसे गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

आदिवासी ने यह बात गाँववालों को बताई, जिसके बाद ग्रामीणों ने वहां एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया. मंदिर के निर्माण के दौरान, उन्हें एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा—वे शिवलिंग को उठाने में असमर्थ थे. उसी रात, गाँव के एक बुजुर्ग को सपना आया कि अगर सात अविवाहित कन्याएं शिवलिंग पर दूध चढ़ाएंगी, तभी उसे उठाया और स्थापित किया जा सकेगा. अगले दिन, सात कन्याओं ने दूध अर्पित किया, और ग्रामीणों ने शिव की पूजा की. इसके बाद शिवलिंग को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया, और तब से गाँव के लोग नियमित रूप से शिव की पूजा करने लगे.

स्थानीय ग्रामीणों ने 1961 में इस मंदिर का निर्माण करवाया. दीमापुर शिव मंदिर को उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला शैली में बनाया गया है. मंदिर का डिजाइन सरल है और यह एक छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है.

दीमापुर शिव मंदिर में उत्सव (Dimapur Shiv Temple)

हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार इस मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है. दूर-दराज के इलाकों से भक्त भगवान शिव के दर्शन और पूजा करने के लिए यहां आते हैं.