रायपुर। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के सहयोग से आयोजित वेबीनार में नए शिक्षा सत्र में प्रवेश से लेकर पढ़ाई तक के कई विकल्पों, सुझाव पर चर्चा की गई. संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र शुक्ला ने कहा कि स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया एक अगस्त से 20 अगस्त तक की जानी है. कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने की जिम्मेदारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों की होगी. कक्षा पहली में प्रवेश के लिए गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र में दर्ज बच्चों की सूची प्राप्त की जाए. इसके अतिरिक्त गांव में सर्वे कर नवप्रवेशित बच्चों की जानकारी एकत्र करने के भी निर्देश दिए गए. प्रायमरी के बाद कक्षा 6वीं में प्रवेश के लिए प्रायमरी स्कूल के प्रधान पाठक छात्रों की सूची एवं आवश्यक दस्तावेज मिडिल स्कूल में प्रवेश के लिए उपलब्ध कराएंगे.

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इसी प्रकार कक्षा 9वीं और 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए कक्षा 8वीं पास बच्चों के आवश्यक दस्तावेज भी प्रवेश के लिए उपलब्ध कराना होगा. शेष सभी अगली कक्षा में प्रवेश पिछली कक्षा के आधार पर दिया जाना है. स्कूलों में प्रवेश के दौरान कोविड-19 की गाईडलाईन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति के लिए नवप्रवेशित विद्यार्थियों के बैंक खाते और उनकी जानकारी अपडेट की जाए. पात्र विद्यार्थियों को सायकल का वितरण भी किया जाना है. इसी प्रकार पाठ्य पुस्तक और गणवेश का वितरण घर पहुंचाकर करने के निर्देश दिए गए हैं.

अब शिक्षक स्कूल नहीं, गांव-गांव, मोहल्ले में जाकर विभिन्न माध्यमों से शिक्षा देंगे. शिक्षक दिवस पर नवाचार में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, संकुल समन्वयक और शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा.

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने राज्य से संकुल स्तर तक के अधिकारी और शिक्षकों से कहा कि स्थानीय सुविधा के अनुसार बच्चों की पढ़ाई कराई जाए. स्कूल नहीं खुलने की स्थिति में बच्चों को नवाचार से शिक्षा दी जाए. कोरोना काल में शिक्षा का प्रवाह नहीं रूकेगा, निरंतर जारी रहेगा, लेकिन पढ़ाई का तरीका बदला जा सकता है.