एनके भटेले। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किस कदर दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है. इसका एक नमूना भिण्ड में जनसुनवाई के दौरान देखने को मिला. जहां भरौली थाना इलाके के शडा गांव के रहने बाले अहवरन शर्मा की बेटी का 6 साल के मासूम कार्तिक जो कि बिना हाथों के और पैरों से दिव्यांग पैदा हुआ था. मासूम दिव्यांग के लिए सरकारी मदद के लिए विकलांग सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है. जिसके लिए दिव्यांग की माँ और उसके बृद्ध नाना जिला अस्पताल का चक्कर काट काट कर परेशान हो गए. तब उन्होंने कलेक्टर जनसुनवाई में गुहार लगाने का फैसला किया.
45 डिग्री की तपती दोपहरी जन सुनवाई में मासूम को लेकर पहुंची उसकी माँ पूजा और बृद्ध नाना हताश होकर लाइन से नीचे उस समय बैठ गए, जब उनको पता लगा कि इस बार भी कलेक्टर जन सुनवाई में नहीं बैठे है, लेकिन कलेक्टर को मीडिया द्वारा दिव्यांग की खबर बनाई जाने की खबर लगी, तो ग्यारह बजे शुरू होने वाली जनसुनवाई के आखिरी समय एक बजे कलेक्टर सतीश कुमार आनन फानन में जन सुनवाई कक्ष में पहुंचे.
कलेक्टर ने दिव्यांग कार्तिक को तुरंत कार्रवाई करने अधिकारियों को आदेशित किया. जिसमें जल्द मेडिकल बोर्ड से विकलांग सर्टिफिकेट, शासन की योजना में मिलने वाले मुफ्त अनाज की पर्ची और विकलांग पेंशन जिससे दिव्यांग कार्तिक का भरण पोषण हो सके. इसके साथ ही आर्टिफिशियल उपकरण के बारे में कलेक्टर का कहना था कि कोई कमिटमेंट तो नहीं कर सकता हूं, लेकिन प्रयास जरूर करूंगा.
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