जगदलपुर। किसी ने सही ही कहा है – भक्त के वश में है भगवान। सचमुच यह श्रद्धा भक्तिमय भक्त की पुकार ही होती है जिसके आगे भक्तवत्सल भगवान भी अपनी करुणा बरसा देते हैं। ऐसा ही नजारा आज सुबह जगदलपुर में देखने को मिला। दो दिवसीय प्रवास संपन्न कर आचार्य श्री महाश्रमण जी ने प्रातः जैसे ही निर्मल हायर सेकेंडरी स्कूल से विहार किया तो एक श्रद्धालु के घर में पगलिया करवाने के लिए मूल विहार मार्ग से अतिरिक्त दो किलोमीटर चलकर वहां पहुंचे, जिनके दर्शन के लिए जगह-जगह श्रद्धालु मौजूद थे।
आचार्य श्री का जगदलपुर तेरापंथ भवन के लिए निर्धारित स्थल पर पहुंचे. नेमचंद राजकुमार लोढ़ा की ओर से तेरापंथ सभा को भवन के लिए समर्पित स्थल पर गुरुदेव ने कुछ देर रहकर भक्तामर आदि मंगल मंत्रों का पाठ किया। इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं विधायक रेखचंद जैन ने वहां सड़क निर्माण की घोषणा की। चढ़ते सूर्य की चिलचिलाती धूप में लगभग 19 किलोमीटर का प्रलंब विहार कर महातपस्वी महाश्रमण अहिंसा यात्रा के साथ चिदैपदर के संस्कार द गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल में पहुंचे। इस अवसर पर बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल के साथ चालीस गांवों के सरपंच आदि पंचायत सदस्यों ने शांतिदूत का स्वागत किया।
प्रवचन सभा में आचार्यश्री ने कहा कि हमारी दुनिया में कहीं-कहीं हिंसा देखने को मिलती है। हिंसा है तो अहिंसा भी जीवित है। हिंसा एक प्रकार का अंधकार है। हमारे भीतर में परमात्मा है तो दुरात्मा भी है। राग-द्वेष यह कर्म के बीज भीतर में होते है जो व्यक्ति को अपराध, हिंसा की ओर ले जाते है। अहिंसा का प्रयास होता रहे तो हिंसा कम हो सकती है। सूर्य दिन में प्रकाश करता है शाम में अस्त हो जाता है। फिर भी अंधकार को दूर करने का प्रयास किया जाता है। जितनी ताकत हो उतना प्रयास करें।
आचार्य श्री ने कहा कि माना कि अंधकार दुनिया में घना है, पर मेरे दोस्त दीपक जलाना कब मना है। हिंसा के अंधकार को दूर करने के लिए दया, अहिंसा, प्रेम रूपी दिये के प्रकाश की जरूरत है। एक होता है हृदय परिवर्तन और एक होती है कानून व्यवस्था। हम तो साधु है किसी प्रकार का डंडा नहीं रखते। उपदेश, समझाइश हमारा काम है। हम तो मैत्री भाव से प्रेरणा देते हैं कि व्यक्ति अपराध की दिशा में, हिंसा की दिशा में नहीं जाए और जीवन को अच्छा बनाये। कानून व्यवस्था का कार्य हमारा नहीं सरकार, प्रशासन आदि का है। बढ़िया यही की व्यक्ति खुद पर संयम, तप के द्वारा आत्मानुशासन करें। खुद नहीं करोगे तो दूसरे आप पर अनुशासन करेंगे।
प्रेरणा देते हुए शांतिदूत ने आगे कहा कि जहां हृदय परिवर्तन नहीं होता तो न्यायपालिका, प्रशासन व्यवस्था कार्य करती है। जनता में शांति रहे आतंक ना फैले इसलिए कानून कार्य करता है। जनता को सुखी रखने के लिए दंड संहिता का भी उपयोग होता है। चाहे राजतंत्र हो या लोकतंत्र प्रजा में सुव्यवस्था, जनता में शांति रहनी चाहिए। लोकतंत्र में जनता के द्वारा जनता का शासन होता है। लेकिन वहां भी डिसिप्लिन जरूरी है। लोकतंत्र में यह नहीं कि कुछ भी करें। डिसिप्लिन होगा तो जनता भी सुखी रह सकती है।
जनता को विद्यालयों द्वारा धर्म गुरुओं द्वारा प्रशिक्षण मिले। व्यक्ति अच्छा आदमी बन सके और जीवन में नैतिक मूल्य, इमानदारी हो, अपराध की दिशा में न जाए। व्यक्ति अच्छा बनेगा तो समाज अच्छा बनेगा और फिर नगर, प्रांत और राष्ट्र भी अच्छा बन सकेगा। एक-एक व्यक्ति के अच्छे होने से विश्व तक अच्छा बन सकता है। अपेक्षा है मानव अच्छा बने। अगर व्यक्ति अच्छा नहीं है तो किसी भी क्षेत्र में जाए वहां भी गलत कार्य करेगा। और आदमी अच्छा हो तो जहां भी जाए भले वे न्याय के क्षेत्र में जाएं, राजनीति के क्षेत्र में जाएं, चिकित्सा आदि कोई हो वहां पर अच्छा कार्य करेगा।
बचपन से ही बच्चों में शारीरिक विकास, भौतिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास और भावनात्मक विकास जरूरी है। जज, वकील, डॉक्टर आज कुछ भी हो वह पहले विद्यार्थी ही होता है। शुरू से अच्छे संस्कार मिलेंगे तो आगे भी व्यक्ति अच्छा कार्य करेगा और कामयाब हो सकेगा।
कार्यक्रम में विचाराभिव्यक्ति में जगदलपुर तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार लोढ़ा, स्कूल डायरेक्टर अमित जैन, डॉ. मोहनलाल जैन, चेयरमैन रतनलाल जैन, मंजू बुरड़ ने अपने विचार व्यक्त किये। शिक्षक समूह एवं केशाराम जैन परिवार ने गीत का संगान किया। गुरुवंदना एवं योग प्रदर्शन की भी प्रस्तुति हुई। आचार्यश्री की प्रेरणा से शिक्षकों ने अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किये।
धर्माधीश की शरण में पहुंचे न्यायाधीश
जगदलपुर प्रवास में दूसरे दिन शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में विशिष्ट संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें प्रदेश के कई न्यायाधीश संभागी बने। आचार्य श्री ने अहिंसा यात्रा के बारे में बताते हुए जैन धर्म एवं साधुचर्या के बारे में जानकारी दी। आचार्य श्री ने न्यायाधीशों को भय व प्रलोभन मुक्त हो कार्य करने की प्रेरणा देते हुए जीवन में नैतिकता अपनाने को प्रेरित किया। इस अवसर पर अहिंसा यात्रा प्रवक्ता मुनि कुमारश्रमण जी, बिलासपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस गौतम चौरड़िया ने अपने विचार व्यक्त किए। तत्पश्चात न्याय, धर्म, देश आदि विषयों पर प्रश्नोत्तर का क्रम भी चला। संगोष्ठी में बस्तर जिला सत्र न्यायाधीश सुमन एक्का सहित विभिन्न न्यायालयों से जस्टिस अशोक कुमार साहू, जस्टिस सतीश जयसवाल, जस्टिस अभिषेक शर्मा, जस्टिस अच्छेलाल काच्छी, जस्टिस बलराम देवांगन, जस्टिस श्वेता उपाध्याय, जस्टिस श्रद्धा सिंह, जस्टिस भगत, जस्टिस एसएल मात्रे मुख्य संभागी बने।