रायपुर- छत्तीसगढ़ में क्या एक बार फिर पुलिस जवान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं? दरअसल यह सवाल इंटेलीजेंस के उस गोपनीय पत्र से खड़ा हुआ है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि फरवरी के पहले हफ्ते में पुलिस परिवार महासम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है. बर्खास्त सिपाही राकेश यादव के नेतृत्व में होने वाले इस महासम्मेलन में सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ पुलिस के आला अधिकारियों को आमंत्रित किए जाने का जिक्र है, पुलिस महकमे ने यह आंशका जताई है कि महासम्मेलन की आड़ में कहीं बड़ा आंदोलन ना खड़ा हो जाए, लिहाजा सभी पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है. बता दें कि रमन सरकार के कार्यकाल में भी सिपाही विद्रोह फूटा था. राज्य के कोने-कोने से पुलिस जवानों के परिजनों ने राजधानी में बड़ा आंदोलन किया था. तब सरकार ने कठोरता से आंदोलन को खत्म किया था.

दरअसल सूत्र बताते हैं कि पुलिस मुख्यालय की इंटेलीजेंस शाखा ने राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर पुलिस आंदोलन से जुड़े मसलों पर सतर्क होने की हिदायत दी है. पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि आंदोलनात्मक गतिविधियों पर सतत निगाह रखते हुए समुचित रूप से कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित न हो. बताया जा रहा है कि राजधानी में होने वाले पुलिस परिवार महासम्मेलन के बहाने सरकार पर यह दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने पुलिस परिवार के जिन मांगों को समर्थन दिया था, उन्हें आगामी बजट में शामिल किया जाए. खबर यह भी है कि महासम्मेलन के लिए सहयोग राशि जुटाने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है. बैंक आॅफ इंडिया का खाता क्रमांक 947310310000542 जारी कर सहयोग राशि जुटाई जा रही है.
81 महिलाओं की हुई थी गिरफ्तारी
जून 2018 में तत्कालीन रमन सरकार के दौरान पुलिस परिवार ने राजधानी रायपुर में बड़ा आंदोलन रखा था. ईदगाह भाटा मैदान में आंदोलन की अनुमति मांगी गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. अनुमति नहीं मिलने के बावजूद बड़ी तादात में महिलाएं सड़कों पर उतरी थी. तब कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया था. आंदोलन कर रही 81 महिलाओं की गिरफ्तारी की थी, हालांकि बाद में समझाइश देकर उन्हें छोड़ दिया गया था, जबकि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया था. तब पुलिस परिजनो ने अपनी मुख्य मांगों में कहा था कि ड्यूटी की अवधि 8 घंटे तय किया जाए, सप्ताह में एक दिन की छुट्टी दी जाए, आहार भत्ता बढ़ाकर तीन हजार रूपए किया जाए, साथ ही मेडिकल भत्ता 2 हजार रूपए, वर्दी धुलाई भत्ता 500 रूपए, साइकल के 80 रूपए प्रतिमाह के भत्ते की जगह 3 हजार रूपए पेट्रोल भत्ता दी जाए. साथ ही किट सामग्री की जगह 10 हजार रूपए दिए जाएं.