नेहा केशरवानी, रायपुर. नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में शहर के विकास के 13 एजेंडों पर चर्चा हुई. विपक्ष ने पहले से ही शहर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रखी थी. 5 माह बाद हुई इस बैठक को लेकर शुरू में ही विपक्ष भड़क गया. प्रश्नकाल में सड़क पर गड्ढों को पाटने और वार्ड में सही काम नहीं होने को लेकर भाजपा पार्षद दल ने जमकर हंगामा किया.

वहीं विकास कार्य के लिए फंड नहीं मिलने पर बीजेपी पार्षदों ने सवाल खड़ा किया. MIC के सदस्य विपक्ष के सवालों से घिरते चले गए. साथ ही निगम से जमा फंड को लेकर पूरी जानकारी भी नहीं दे पाए. यहां तक कि निगम आयुक्त ने फंड की अधूरी जानकारी दी. बीजेपी पार्षदों ने निर्धारित समय के पहले सड़कों के गड्ढ़े भरने की मांग की. वहीं कांग्रेस पार्षदों में आमजन के मुद्दे को लेकर गम्भीरता नहीं बरतने पर भी नेता प्रतिपक्ष ने सभापति से जवाब मांगा.

मीनल चौबे ने सभापति से गोलबाजार के दुकानों पर टेंडर की जानकारी छुपाने का आरोप भी लगाया, जबकि इसकी जानकारी MIC के पास होने के बाद भी सामान्य सभा में नहीं लाया गया. वहीं कांग्रेस पार्षद अनवर हुसैन ने अपने ही पार्टी पर सवाल खड़ा कर दिया, निगम के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि, व्हील के सम्बंध में चौथे वित्त आयोग में अधिकारियों ने राशि खर्च की थी पर जानकारी नहीं दे पाए. हालांकि, सभापति ने आरोपों को खारिज किया है.

वहीं मोर महापौर- मोर द्वार शिविर में आवेदनों को लेकर भी टकराव की स्थिति बन गई थी, विपक्षी पार्षदों के साथ कांग्रेसी पार्षदों का आक्रामक तेवर भी देखने को मिला. मोर महापौर मोर द्वार जिस उद्देश्य से चालू किया गया वैसा काम नहीं हो रहा है.

मुख्य एजेंडे

  • गुढ़ियारी मुख्य मार्ग का नामकरण भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से मार्ग का नामकरण एवं प्रतिमा लगाई जाए.
  • शहीद चूड़ामणि नायक वार्ड क्रमांक 38 का कार्य पंडित नंद किशोर पांडे की प्रतिमा लगाई जाए.
  • डंगनिया को महादेव घाट से जोड़ने वाले मार्ग का नामकरण वीर चक्र से शहीद राजीव पांडे के नाम किया जाए.
  • वार्ड 65 के हरिजन बस्ती का नाम सतनामी पारा किया जाए
  • गोल बाजार स्थित भूमि के व्यवसायियों को मालिकाना हक दिए जाने के संबंध में.

    वहीं बैठक में सबसे गर्म मुद्दा प्रधानमंत्री आवास योजना का था. जहां नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 22,000 सर्वे नगर निगम ने खुद किया था. बकायदा उनसे लिखित में लिया गया था. मकान के लिए हितग्राहियों को मात्र 75,000 देने थे. ढाई लाख तक राज्य सरकार देती है. बिना बताए योजना का नाम बदल दिया. “मोर मकान मोर आवास” कर दिया गया. 3,25,000 में जो मकान दिया जा रहा है, उसमें राज्य के भी अंश हैं, लेकिन ढाई लाख रुपए हितग्राहियों से लिया जा रहा है, यह राशि कहां जा रही है. साथ ही इसका विज्ञापन भी जोर शोर से कर रहे हैं.

    वहीं महापौर, नगरीय प्रशासन मंत्री, मुख्यमंत्री का फोटो लगा है, लेकिन राज्य शासन का चवन्नी नहीं लगा रही है. केंद्र सरकार और हितग्राही का पैसे से बना है. राज्य सरकार का एक रुपए नहीं लगा है. इसी के जवाब में महापौर ने कहा, आज कोई पहली बार नाम नहीं बदला है. मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे तब बहुत से नाम को बदलकर लोगों को मकान दिए जा रहे हैं, 4 लाख 25 हजार में हुआ करता था. अब 3 लाख 25 हजार में मिल रहा है. सर्वे के आधार पर मकान दे रहे हैं. 75 हजार दो मकान लो. हमारी सरकार ने काम किए हैं. वही इन्हीं को तकलीफ है, इसके पहले क्या नाम परिवर्तन नहीं हुआ.

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