रायपुर. राज्य नोडल एजेंसी (एसएनए) ने राज्य के निवासियों के लिए लागू उपचार संबंधी योजना को लेकर मंगलवार को एक कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें योजना में शामिल बीमारियों के पैकेज दर को लेकर चर्चा व समीक्षा हुई.
राज्य नोडल एजेंसी राज्य के निवासियों के लिए मुफ्त उपचार योजनाओं को संचालित करती है. योजनाओं में शामिल बीमारियों पैकेज दर को लेकर पूर्व में राज्य के सभी पांच संभागों में कार्यशाला आयोजित की जा चुकी है. इसी तारतम्य में मंगलवार को रायपुर में राज्य नोडल एजेंसी द्वारा कार्याशाला आयोजित थी. यह कार्यशाला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टीएस सिंहदेव व सचिव निहारिका बारिक के निर्देशन में आयोजित थी. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बीमारियों के पैकेज दर किस तरह निर्धारित किये जाएंगे? इसको लेकर समीक्षा की गई और इस विषय पर पूरे दिन मंथन चलता रहा. एम्स, मेकाहारा व निजी चिकित्सालयों के तकरीबन 50 चिकित्सकों की मौजूदगी में यह विचार-विमर्श हुआ. जिसमें चिकित्सा क्षेत्र के अलग-अलग विषय विशेषज्ञ भी मौजूद थे.
धोखाधड़ी रोकने दिए सुझाव
इसके साथ ही योजना में किसी तरह की धोखाधड़ी व मरीजों के उपचार के दौरान उनसे किसी तरह का खिलवाड़ न हो सके, इसको लेकर भी कार्यशाला में चर्चा हुई. सभी ने अपनी-अपनी तरह से अलग-अलग सुझाव दिए. इनमें से कई सुझावों पर आम सहमति बन गई है.
ये रहे मौजूद
कार्यशाला में संचालक स्वास्थ्य सेवायें नीरज बनसोड़, उप संचालक डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, नेशनल हेल्थ एजेंसी से डॉ. सुधा, इंडियन मेडिकल एसोशिएशन से डॉ. महेश सिन्हा, डॉ. राकेश गुप्ता, डॉ. अनिल जैन समेत बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे. इनके अलावा संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें से भी विशेषज्ञ मौजूद थे.
इन विषय विशेषज्ञों ने दी राय
इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों के द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गए. मुख्य रूप से महिला एवं स्त्री रोग, अस्थिरोग, रेडियो-डायग्नोसिस, न्यूरोसर्जरी, बाल्य एवं शिशुरोग, मेडिसिन, रेडियों-थैरेपी, नेत्र रोग, कार्डियोलॉजी, सर्जरी, बर्न एण्ड प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियो-थोरोसिक एवं वस्कुलर सर्जरी विभाग के विषय विशेषज्ञ मौजूद थे. विशेषज्ञों में रायपुर के अलावा बिलासपुर समेत अन्य जिलो के भी चिकित्सक उपस्थित थे.
आईएमए की तरफ से चार मांगे रखी गई है
1.गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले आयुष्मान कार्ड के पैकेज रेट मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की पात्रता रखने वाले मरीजों अर्थात गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले मरीजों से अलग किए जाएं और इसमें अतिरिक्त सुविधाओं के लिए नर्सिंग होम्स को पात्रता दी जाए.
2. आयुष्मान योजना में कार्य कर रहे शासकीय चिकित्सकों को शासकीय अस्पतालों में इलाज किए जा रहे मरीज को मरीजों का राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शेयर मनी गाइडलाइन के हिसाब से इंसेंटिव दिया जाए.
3. प्रतिवर्ष मेडिकल मुद्रास्फीति के हिसाब से पैकेज रेट में वृद्धि की जाए.
4. मरीजों के ऑपरेशन और अन्य सेवाओं में स्पेशलिटी पैकेज के रेट अलग से निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया है.
सभी का सहयोग, सबका उप
योजनाओं को लेकर राज्य शासन की मंशा स्पष्ट है. राज्य शासन निजी व शासकीय चिकित्सालयों के चिकित्सकों के सहयोग से योजना चलाना चाह रहे है और योजना का लाभ सभी को मिल सके यही योजना का प्रमुख उद्देश्य है.