रायपुर। एमएमआई अस्पताल की कार्यकारिणी का मामला सुलझ ही नहीं रहा है. पुरानी कार्यकारिणी के बार -बार न्यायालय की शरण में जाने से नई कार्यकारिणी संशय में पड़ गई है कि आखिर पुरानी कार्यकारिणी किसी घपले और घोटाले को छिपाना चाहती है. पुराने दस्तावेजों की जांच से हुए खुलासों की पड़ताल में पुरानी कार्यकारिणी से सहयोग नहीं मिलने पर नई कार्यकारिणी फिर से हाईकोर्ट का रुख करने की तैयारी में है.

जानकारी के अनुसार, वीएनएस को एमएमआई अस्पताल के पिछली कार्यकारिणी के कुछ लेजर एकाउंट्स मिले हैं, जिसमें अस्पताल के पैसों के बंदरबाट का खुलासा हुआ है. नई कार्यकारिणी को आशंका है कि इस वजह से पुरानी कार्यकारिणी द्वारा समय पर ऑडिट नहीं कराया जाता था. यही नहीं ऑडिट कभी हो भी जाता तो रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती थी. ऐसा ही एक मामला वित्तीय वर्ष 2015-16 में अस्पताल के ट्रस्टी ने एक जमीन की खरीदी का सामने आया है, जिसके लिए कमीशन के रूप में पूर्व सचिव रामअवतार अग्रवाल के पुत्र गौरव अग्रवाल को लाखों रुपए का भुगतान किया गया.

लेजर एकाउंट्स के अनुसार 15 हजार 9 सौ 25 वर्ग फुट जमीन की खरीदी एमएमआई ट्रस्ट ने की, जिसके कमीशन के रुप में गौरव अग्रवाल को ट्रस्ट ने 50 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से 7 लाख 96 हजार 250 रुपए का भुगतान किया. इस भुगतान के बाद ट्रस्ट के एकाउंट्स शाखा में गौरव अग्रवाल को अपना पैन कार्ड और आधार कार्ड जमा करने कहा गया, लेकिन चेक लेने के बाद गौरव अग्रवाल ने न तो अपना पैन कार्ड जमा किया न आधार कार्ड. यही नहीं इसी तरह 01 अप्रैल से 31 मार्च 2020 तक गौरव अग्रवाल को पिछली कार्यकारिणी ने कमीशन और वर्क इन प्रोसेस के नाम पर 32 लाख 41 हजार 125 रुपए का भुगतान किया है, जिसकी जानकारी ट्रस्ट कार्यालय में मौजूद ही नहीं है.

अस्पताल के वर्तमान महासचिव महेन्द्र धाड़ीवाल ने बताया कि वर्तमान कोषाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने जब एकाउंट की जानकारी के लिए पूर्व कोषाध्यक्ष विजयचंद बोथरा से आईडी और पासवर्ड की जानकारी चाही तो पूर्व कोषाध्यक्ष ने देने से इंकार कर दिया. इससे पैसों के हेर-फेर की आशंका और स्पष्ट हो जाती है. उन्होंने बताया कि जानकारी नहीं देने पर पूर्व कार्यकारिणी के खिलाफ वर्तमान कार्यकारिणी एक बार फिर से बिलासपुर हाईकोर्ट का रुख करने की तैयारी कर रहा है.