पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. घर की इज्जत जब सड़क पर आ जाए तो तमाशा बन जाता है. ऐसा ही एक मामला गरियाबंद जिले के करचिया निवासी जैन परिवार का आया है. दोनों भाइयों में जब तक सबकुछ ठीक था तो बड़े-बड़े गोलमाल भी कानून और आम जनता की नजरों में नही आ पाए. अब दोनों भाइयों में विवाद बढ़ा तो सब कुछ खुलकर सामने आने लगा है.

छोटे भाई गौरव जैन और बड़े भाई धर्मेंद्र जैन के बीच संपति विवाद इतना बढ़ गया कि छोटे भाई ने अपने बड़े भाई के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया. गौरव करचिया पंचायत भवन के सामने धरने पर बैठ गया और बड़े भाई के काले कारनामों को मीडिया के सामने उजागर कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने अपने बड़े भाई पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

सरकार और बैंक को चुना लगाने का आरोप

गौरव ने धर्मेंद्र के कारनामो की पोल खोलते हुए बताया कि धर्मेंद्र हमेशा गलत कामों में संलिप्त रहा है. उसने देवभोग राइस मिल करचिया के नाम पर बैंक से लोन लिया. 51 लाख की सब्सिडी भी ली. फिर नई मशीन बेचकर रकम हजम कर ली और महज 5 लाख की कबाड़ मशीन लगा ली. यही नहीं उन्होंने धर्मेंद्र पर एक बार फिर ऐसा ही करने की जुगत में लगे होने का आरोप लगाया है. उन्होंने धर्मेंद्र पर मंडी शुल्क में भी जालसाजी कर शासन को लाखों का चूना लगाने का आरोप लगाया है.

जिम्मेदारों से की शिकायत

गौरव ने बताया कि उन्होंने पूरे मामले की शिकायत गरियाबंद कलेक्टर और बैंक प्रबंधक से की है. उन्होंने मामले की जांच कराने की भी मांग की है. वहीं न्याय नहीं मिलने पर भूख हड़ताल की चेतावनी भी दी है.

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ग्रामीण गौरव के साथ

मामले में करचिया के ग्रामीण भी गौरव के साथ नजर आए. कुछ ग्रामीणों ने धरना स्थल पर पहुंचकर गौरव का साथ दिया और मीडिया से बात की. गांव के उप सरपंच चेतन नागेश ने बताया कि दोनों भाइयों के विवाद को गांव में सुलझाने के लिए बैठक बुलाई गई थी. पंच परमेश्वरों ने जो फैसला सुनाया उस पर धर्मेंद्र खरे नहीं उतरे. इसलिए आज वे गौरव को न्याय दिलाने उनके साथ खड़े है.

बड़े भाई धर्मेंद्र का पक्ष

स्थानीय मीडियाकर्मियों ने बड़े भाई धर्मेंद्र जैन का पक्ष जानने उनसे बात की. धर्मेंद्र ने छोटे भाई द्वारा लगाए सभी आरोपो को सिरे से खारिज कर दिया. बल्कि उन्होंने गौरव का मानसिक संतुलन सही नहीं होने और उन्हें चिकित्सा इलाज लेने की सलाह दी है.

ये है झगड़े की फसाद

जानकारों के मुताबिक दोनों भाइयों में संपति विवाद इस लड़ाई का प्रमुख कारण है. पैतृक संपत्ति धर्मेंद्र के नाम है. जिसमें गौरव अपना हिस्सा चाहता हैं. इसके अलावा गौरव ने अपनी बैंक सीसी लिमिट से 45 लाख बड़े भाई द्वारा लेने क बाद वापिस नहीं करने की बात भी सामने आ रही है.

शासन की योजना लपेटे में

गौरव ने जो आरोप अपने बड़े भाई धर्मेंद्र पर लगाए हैं उनमें से ज्यादातर कहीं ना कहीं शासन से जुड़े हैं. आरोपो में शासन की योजनाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं. ऐसे में अब ये लड़ाई दो भाइयों के बीच से निकलकर शासन की योजनाओं तक पहुंच गई है. जिला प्रशासन इसे कितनी गंभीरता से लेता है और जांच में कितनी दिलचस्पी लेता है यह देखने वाली बात होगी.