लखनऊ। मिर्जापुर से हिट हुए अभिनेता पंकज त्रिपाठी की आगामी वेब सीरिज ‘कागज’ रिलीज होने से पहले ही विवाद में आ गई है. सलमान खान द्वारा प्रोड्यूस की गई वेब सीरिज की कहानी को डैडमेन के नाम से मशहूर संतोष मूरत सिंह ने अपना बताते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई है.

वाराणसी के चौबेपुर थाना में शिकायत दर्ज कराने वाले संतोष मूरत सिंह का कहना है कि पूरी कहानी उनकी है. सलमान खान की टीम ने उनसे जानकारी ले ली, और अब बिना उनकी सहमति की वेबसीरिज के तौर पर रिलीज करने जा रहे हैं. संतोष अपनी बात की सच्चाई के लिए मुरादाबाद के एसएसपी प्रभारक चौधरी का हवाला दिया है. बनारस में उनकी तैनाती के दौरान प्रभाकर चौधरी ने ही संतोष को ‘कागज़’ नाम दिया था.

गांव छितौनी, थाना चौबेपुर वाराणसी (43) निवासी संतोष मूरत सिंह का कहना है कि जब वह 18 साल के थे तब उनके गांव में फिल्म की शूटिंग के लिए अभिनेता नाना पाटेकर आए थे. वह उन्हें अपने साथ मुंबई ले गए और अपना कुक बना लिया. लगभग तीन साल बाद संतोष गांव वापस आए तो यहां राजस्व अभिलेखों में उन्हें मृतक दिखाकर उसकी 12 एकड़ से ज्यादा जमीन को गांव के ही लोगों ने अपने नाम करा लिया था. संतोष के मां-बाप नहीं रहे और वह तभी से ‘मैं जिंदा हूं’ बताकर जमीन वापस पाने के लिए जूझ रहा है. इसलिए लोग उन्हें डेडमैन के नाम से जानते हैं.

प्रभाकर चौधरी का है फिल्म से गहरा नाता

मुरादाबाद से पहले प्रभाकर चौधरी वाराणसी, सीतापुर आदि जिलों के पुलिस कप्तान रह चुके हैं. उनका भी इस फिल्म से गहरा नाता है. दरअसल, इस फिल्म की स्क्रिप्ट फिल्म के लेखक सतीश कौशिक ने खुद उनसे सुनी और पूरी कहानी पर मंथन किया. सारी जानकारी के बाद ही उन्होंने इस फिल्म पर काम किया. संतोष का दावा है कि वे गले में ‘मैं जिंदा हूं’ की तख्ती लटकाकर वह बनारस के तत्कालीन एसएपी प्रभाकर चौधरी से मिलते थे. उन्होंने ही एक दिन मुझसे कहा था कि कि आपका नाम तो ‘कागज’ होना चाहिए.

लंबी चर्चा के बाद ही बनी है यह फिल्म

मुरादाबाद के एसएसपी प्रभाकj चौधरी बताते हैं कि जब मैं बनारस में था तो संतोष मूरत मेरे पास लगातार आते थे. उनका भी मामला यही था कि उन्हें मृतक दर्शाकर उनकी जमीन किसी दूसरे के नाम कर दी गई थी. हालांकि, जब तक मैं आया था जब तक यह बात साबित नहीं हो सकी थी. संतोष की कहानी जानकर सतीश कौशिक मेरे पास आए और इस पर लंबी चर्चाओं का दौर कई बार चला. अब फिल्म सात जनवरी को रिलीज हो रही है. संघर्ष की अच्छी दास्तां हैं.