सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। छत्तीसगढ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का विवादित बयान सामने आया है। महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा है कि फिल्म देखने से युवा बिगड़ रहे हैं, लड़के और लड़कियों में शादी से पहले अवैध संबंध बनाना फिर उसे बचाने के लिए कहीं ना कहीं दबाव में आकर शादी करना और फिर मन उब जाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है।

दरअसल आज महिला आयोग में सुनवाई के दौरान एक युवती ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई थी। युवती ने 6 महीने पहले प्रेम विवाह किया था। अब शादी से परेशान होकर महिला आयोग पहुंची थी। इस मामले की जानकारी देते हुए ही महिला आयोग अध्यक्ष ने ये बात कहा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि परिवार को अपनी जिम्मेदारी समझने की जरुरत है, माताओं को भी अपनी बच्चियों को समझाइश देने की जरुरत है कि फिल्मी प्यार में ना पड़े।

किरणमयी नायक ने कहा कि महिला आयोग ने सामान्यता महिलाओं के प्रताड़ना के मामले रूटीन में आते हैं और वैसे ही मामलों की सुनवाई हुई थी। लगभग 20 मामले की सुनवाई हुई, आठ मामले में पक्षकार उपस्थित हुए थे। चार मामले डिस्पोज ऑफ किए गए, एक मामला लिंक से हटकर फ्रेश आया है इसकी जानकारी देना जरूरी समझा।

एक लड़की आज अचानक आई, उसने लव मैरिज किया था। तीन-चार महीने हुए हैं उसकी शादी हुए, उसे पति ने छोड़ दिया। उसने इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। मामला गंभीर लगा उससे तत्काल उसके पति का नंबर लेकर के बुलवाया और दोनों को समझाइश दी गई। उस लड़की को सखी सेंटर भेजा गया है।

ऐसे मामले क्यों आ रहे हैं इसके चिंतन में यह चीज जरूर समझ आ रही थी कि कहीं ना कहीं लड़कियों और लड़कों के बीच में फिल्म का ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है। शादी से पहले अवैध संबंध बनाते हैं और उस संबंध को बचाने के लिए शादी करना। कहीं ना कहीं दबाव में शादी और कुछ इस तरह की घटना दिखाई पड़ी है इस पूरे मामले में। मेरी एक गुजारिश है सभी वयस्क होती देवियों से.. उनकी माताओं से अपने बच्चों को हर तरह की शिक्षा देना जरूरी है और ऐसी समझाइस जरूरी है कि फिल्मी प्यार मोहब्बत के चक्कर में पड़कर अपनी जिंदगी को दांव में न लगाएं.. आज एक लड़की आती है यह बहुत गंभीर मामला है और जिंदगी इतनी सस्ती नहीं है जिसे आसानी से देना चाहिए। ऐसे ही कई कारण होते हैं कि लड़कियां करती है या मौत का रास्ता चुनती है किसी भी तरीके से जिस से अपने बच्चों और महिलाओं को बचाने की आवश्यकता है। परिवार की अपनी जिम्मेदारी होती है और हम सब इस आयोग के माध्यम से बेटियों को और बहनों को बचाने की दिशा में प्रयासरत थे और आगे भी रहेंगे।