दुर्ग। नए वाहन की बुकिंग राशि प्राप्त करने के बाद ना तो वाहन दिया और ना ही बुकिंग राशि लौटाई, इस कृत्य को इस कृत्य को व्यावसायिक कदाचरण मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने विकॉन ऑटोमोबाइल्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के रायपुर निवासी डायरेक्टर वैभव जैन एवं विमल चंद श्रीश्रीमाल पर 1 लाख 21 हजार रुपये हर्जाना लगाया.

दरअसल मोहन नगर दुर्ग निवासी रामेश्वर पांडे ने वाहन डीलर विकॉन टोयोटा (जेवरा सिरसा दुर्ग) से इनोवा वाहन  21 अप्रैल 2016 को बुकिंग कर 1 लाख रुपये भुगतान किया था, तब अनावेदक द्वारा परिवादी को बुकिंग दिनांक से 2 माह के भीतर वाहन प्रदान करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन अनावेदक परिवादी को गुमराह करके झूठे बहाने बनाते रहे. वर्ष 2017 में अनावेदक ने अपने दुर्ग, भिलाई एवं रायपुर स्थित संस्थान को बंद कर दिया और बाद में बिलासपुर पुलिस द्वारा अन्य लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. डायरेक्टर वैभव जैन एवं विमल चंद श्रीश्रीमाल ने बचाव में यह तर्क दिया कि उनके प्रतिष्ठान से परिवादी को कोई रसीद जारी नहीं की गई है.

उपभोक्ता फोरम का फैसला

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं तर्कों के आधार पर विचारण कर यह माना कि अनावेदक ने जो रसीद परिवादी को जारी की है उसमें टीन नंबर अंकित है, जिससे अनावेदक ने इंकार नहीं किया है और यदि अनावेदक के प्रतिष्ठान से कोई रसीद जारी नहीं की गई थी तो उन्हें उनके प्रतिष्ठान के नाम से जारी तथाकथित फर्जी रसीद के संबंध में पुलिस में शिकायत करनी थी परंतु ऐसा नहीं किया, इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि भुगतान रसीद अनावेदक के संस्थान द्वारा ही जारी की गई है. वाहन की बुकिंग के लिए 1 लाख रुपये प्राप्त करने के बावजूद परिवादी को ना तो वाहन प्रदान किया गया और ना ही बुकिंग राशि वापस की गई, अनावेदकगण का यह कृत्य व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है.

हर्जाना लगाया

जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने विकॉन टोयोटा के रायपुर निवासी डायरेक्टर वैभव जैन एवं विमल चंद श्रीश्रीमाल पर कुल 1 लाख 21 हजार रुपये हर्जाना लगाया, जिसमें वाहन की बुकिंग राशि 100000 रुपये, मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु. 20000 एवं वाद व्यय हेतु रु. 1000 भुगतान करने का आदेश दिया। तथा 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज पृथक से देय होगा.