नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अविवाहित या विधवा बेटी अपने मृत पिता की संपत्ति में हकदार होती है. तलाकशुदा बेटी पर यह लागू नहीं होता.
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना कृषणा बंसल की पीठ ने तलाकशुदा बेटी के पिता की संपत्ति में हकदार न होने को स्प्ष्ट करते हुए कहा कि वह भरण-पोषण के लिए पति पर आश्रित होती है. वह पूरे हक के साथ पति से गुजाराभत्ता मांगने के लिए कानून का सहारा ले लेती है. जबकि अविवाहित या विधवा बेटी के पास परिजनों से गुजाराभत्ता व संपत्ति में हिस्सा लेकर जीवन-यापन के अलावा कोई रास्ता नहीं होता.
तलाकशुदा महिला की याचिका पर आदेश उच्च न्यायालय ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर यह विशेष निर्णय सुनाया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि तलाकशुदा महिला मां और भाई से गुजाराभत्ता मांग रही है, जबकि यही मांग उसे अलग हो चुके अपने पति से करनी चाहिए.
यह है मामला
याचिकाकर्ता महिला के पिता की वर्ष 1999 में मृत्यु हो गई थी. महिला का कहना था कि उसे कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में कोई हिस्सा नहीं दिया गया था. उसके पति ने भी उसे छोड़ दिया था. सितंबर 2001 में उसे एकतरफा तलाक दे दिया गया. उसने दावा किया कि पारिवारिक अदालत ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उसे अपने पति से कोई पैसा, गुजारा भत्ता या रखरखाव नहीं मिला.