दिवाली न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन रंगबिरंगी लाइटों और दीयों से सजे घर और इमारतों की खूबसूरती देखते ही बनती है. भले ही विदेशों में भी लोग दिवाली का त्यौहार मनाते हैं, लेकिन भारत में इसको लेकर कुछ अलग-अलग परम्पराएं मौजूद हैं, जो बेहद अनोखी होती हैं. लक्ष्मी-गणेश पूजन और मिठाइयां बांटने के अलावा जो परम्पराएं निभाई जाती हैं हम ऐसी तीन परपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं. बात जब दिवाली कि हो तो हम सभी के मन में लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीए जलाना, नए-नए कपड़े, ढेर सारी शॉपिंग, गिफ्ट देना और लेना, मिठाई बांटना आदि जैसे ख्याल आते हैं, लेकिन इन चीजों से हटकर भी कुछ पुरानी परम्परों को निभाया जाता है. इन परम्परों में है दिवाली की रात कच्चे दीए में काजल बनाकर लगाना, सूप पीटना और सबसे अनोखी परम्परा जुआ खेलना. आखिर क्यों इस तरह की रस्मों को निभाया जाता है, आइए जानते हैं. Read More – Choti Diwali 2023 : छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी और काली चौदस आज, जानें यम दीपक जलाने का सही समय और मुहूर्त

काजल लगाना

मान्यता के अनुसार, पुराने समय में लक्ष्मी-गणेश पूजन के बाद कच्चे दीए में काजल बनाया जाता है. घर की महिलाएं इस काजल को बनाकर परिवार के सभी सदस्यों की आंखों में लगाती हैं. काजल बनाने और लगाने के पीछे की वजह है कि ऐसा करने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता और न ही घर के सदस्यों को किसी की बुरी नजर लगती है. इतना ही नहीं इस काजल को घर की तिजोरी, या फिर धन रखने वाली जगह, रसोई घर में भी लगाने की परंपरा है. ऐसा करने से घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती.

सूप पीटना

दिवाली के अगले दिन की प्रभात बेला में घर की मुख्य महिला सूप पीटने की परंपरा निभाती है. महिला सुबह उठकर सूप पीटते हुए घर के मुख्य दरवाजे के बाहर तक जाती है और सूप को घर से दूर जाकर फेंक देती है. उसके बाद घर में आकर कहती है- इस घर से दरिद्रता चली गई है, हे मां लक्ष्मी अब आप यहां वास कर सकती है. मान्यता है कि ऐसा करने पर घर में लक्ष्मी का वास होता है और दरिद्रता आपके घर से बाहर हो जाती है.

जुआ खेलना

ये परंपरा सबसे अनोखी है, जिसमें दिवाली की रात घर के सदस्य जुआ खेलते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव के साथ पासा खेला था, जिसके बाद उन्होंने घोषणा की कि जो भी दिवाली कि रात को जुआ खेलेगा उसका आगामी वर्ष सुख-समृद्धि से पूर्ण होगा. इसके साथ ही दिवाली की रात जुआ खेलना भाग्यशाली माना जाता है. जुआ खेलने की इस परंपरा को लेकर एक सामाजिक कहावत भी बहुत प्रचलित है, कहते हैं जो दिवाली की रात जुआ नहीं खेलता वे अगले जन्म में गधा बनता है.