सुरेश पांडेय, सिंगरौली। यूं तो हर शहर में दीपावली का त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन सिंगरौली जिले में दीपावली की शुरुआत औड़ी बड़े हनुमान जी के दर्शन के बाद सिंगरौली समेत आसपास के लोग अपने त्यौहार की शुरुआत करते हैं. यहां पर लोग बड़े ही उत्साह के साथ आते हैं और नारियल सहित अन्य सामग्री हनुमान जी को समर्पित करते हैं फिर उसी प्रसाद को ग्रहण करके अपने दीपावली की पर्व की शुरुआत करते हैं.

औड़ी पहाड़ी पर झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित

हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोस्थली भूमि यानि सिंगरौली की धरा पर कई धरोहरों की थाती संजोए है. यहां के ऊर्जांचल क्षेत्र में औड़ी पहाड़ी पर झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित है. सिद्धपीठ की मान्यता रखने वाला दुनिया का यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां लड्डू, फूल-माला चढ़ाने से पहले नारियल चढ़ाई जाती है. यहां मन्नत के लिए भी चुनरी में नारियल बांधने और मुराद पूरी होने पर इसे खोलकर भंडारा और श्रृंगार की परंपरा वर्षों से बनी हुई है. दीपावली पर औड़ी हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन को लेकर भीड़ नजर आयी।

टिप्पा झरिया सरोवर में 12 महीने खिलता है कमल

यहां भगवान विष्णु को विशेष रूप से अर्पित होने वाला कमल चढ़ाने की परंपरा है. इसके लिए फूल यहां से महज दो से तीन किमी की दूरी पर प्राकृतिक सुषमा समेटे टिप्पा झरिया सरोवर से लाए जाते हैं. झरिया सरोवर में साल के 12 महीने कमल खिला रहता है. यह आकर्षण का केंद्र तो है ही, साथ ही भक्त इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते हैं.

राजघराने ने कराया मंदिर का निर्माण

पुजारी रामलल्लू पांडेय ने बताया कि इस स्थल पर दो हजार साल पहले खुद ब खुद मूर्ति प्रकट हुई थी. बाद के दिनों में सिंगरौली राजघराने ने विधिवत पूजन-अर्चन शुरू कराया. 200 साल पूर्व सिंगरौली राजघराने की तरफ से यहां दक्षिण भारत की शैली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया गया. उनका दावा है कि छत्रपति शिवाजी के काल में समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर हनुमानजी की आराधना की थी. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आठ पीढ़ी से यहां पुजारी की परंपरा निभा रहा है.

तांत्रिकों की नजर में यह सिद्धपीठ

तांत्रिकों की नजर में भी यह सिद्धपीठ काफी महत्वपूर्ण है. दीपावली पर लगने वाला पांच दिवसीय मेला सिर्फ मध्यप्रदेश और यूपी के सीमावर्ती जिलों के लिए ही नहीं, देश, विदेश तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. यहां पूरी होती मुरादें और हरियाली से भरा आस-पास का इलाका सभी को खूब लुभाता है. यह मंदिर सिंगरौली जिला मुख्यालय से महज 40 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है. ऐसी मान्यता है कि यहां हर भक्त की मुराद पूरी हो जाती है.

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