सुशील खरे, रतलाम। मध्यप्रेदश के रतलाम में एक महालक्ष्मी मंदिर ऐसा भी है जहां दीवाली के मौके पर कुबेर का खजाना सजता है।देश विदेश के हजारों श्रद्धालु, इस मंदिर में करोड़ों रुपए का चढ़ावा रखते है। जिसे प्रसाद के रुप में दीवाली के बाद उन्हें वापस लौटाया जाता है। चढ़ावा भी ऐसा की सोने, चांदी की सिल्लियों सहित नोटों की गड्डियों के ऐसे ढेर कि देखने वालों की नजरे ठहर जाए।
पूरे विश्व में कुबेर के खजाने के नाम से विख्यात
यह दृश्य रतलाम के माणक चौक स्थित प्रसिद्द महालक्ष्मी मंदिर का, जो प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कुबेर के खजाने के नाम से जाना जाता है। कुबेर का खजाना इसलिए क्योंकि इस मंदिर को दीवाली के मौके पर सजाया जाता है जिसमें रुपए पैसों के साथ ही सोने चांदी और हीरे जवाहरात के ढेर रखे जाते है। ऐसा खजाना जिसे देखने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग जाती है। इस खजाने को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है।
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लगती है लोगों की लंबी कतारें
दरअसल, रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सालों से गहने और राशि चढ़ाने की परंपरा रही है। इस भेंट को बकायदा आनलाइन एंट्री और ओटीपी के माध्यम से रजिस्टर्ड किया जाता है। जिसके बाद दिवाली के पांचवे दिन, रिकॉर्ड के ही आधार पर भक्तों को सबकुछ प्रसादी के रूप में लौटा दिया जाता है। दीवाली के पहले दिन यानि धनतेरस के दिन, मंदिर में शुभ लाभ की चौघडियों में, कुबेर की पोटलियां भी बांटी जाती है। ये उन लोगों के लिए होती है, जो अपना धन दौलत मंदिर में नहीं रख पाते है, उन्हें ये कुबेर की पोटलियां प्रसादी के रूप में दी जाती है जिसे लेने के लिए लोगों की कतारें लगती है।
8 सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी
लोग इसे सहेजकर अपनी तिजोरियों में रखते है , मान्यता है कि इससे यश वैभव की वृद्धि होती है। मंदिर में सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता किए जाते है। यहां 8 सीसीटीवी कैमरों की मदद से हर शख्स पर निगरानी रखी जाती है। वहीं पुलिस जवान हर समय मंदिर की सुरक्षा में मुस्तैद रहते है। पांच दिवसीय दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस पर ब्रह्म मुहूर्त में कलेक्टर मिशा सिंह और एसपी अमित कुमार ने परिवार सहित महालक्ष्मी जी की विधिविधान से पूजा कर दर्शन किए।

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