कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। शहर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है,जो न सिर्फ भगवान शिव की महिमा का प्रतीक है, बल्कि यहां मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा होती है। जी हां, यह है 300 साल पुराना मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर, जहां यम चौदस यानी आज यमराज को प्रसन्न करने विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
निर्माण सिंधिया राजवंश के राजाओं ने कराया
ग्वालियर शहर के फूलबाग क्षेत्र में स्थित मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर,एक ऐसा मंदिर,जिसकी मान्यता पूरे देश में अनोखी है। कहा जाता है कि यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां यमराज स्वयं भगवान शिव के सामने विराजमान हैं। इस पौराणिक मंदिर का निर्माण सिंधिया राजवंश के राजाओं ने लगभग तीन सौ साल पहले कराया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव बीच में,यमराज उनके ठीक सामने, और मार्कंडेय ऋषि शिवलिंग को पकड़े हुए विराजमान हैं।
स्वयं भोलेनाथ प्रकट हुए
यह दृश्य उस पौराणिक कथा को दर्शाता है,जब शिव भक्त मार्कंडेय को यमराज से बचाने स्वयं भोलेनाथ प्रकट हुए थे और यमराज को दंडित करने त्रिशूल निकाल कर अपने भक्त के प्राणों की रक्षा की थी, यही वजह है कि यहां यमराज और महादेव दोनों की आराधना साथ में की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति यहां नरक चौदस यानी यम चौदस और सावन में पूजा करता है,उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
अभिषेक का जल पीने से बीमारियां दूर होने की मान्यता
हर साल दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी पर यहां विशेष यमराज पूजा और अभिषेक किया जाता है। श्रद्धालु दीपक जलाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह अनुष्ठान ग्वालियर-चंबल क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश से आने वाले भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। मंदिर में पिछले कई वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है, और कहा जाता है कि यहां के अभिषेक का जल पीने से बीमारियां भी दूर होती हैं। इसके साथ सुबह दूध और दिन में पूड़ी-सब्जी का भोग भगवान को लगाया जाता है।
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