रायपुर. करोना काल में करोड़ों रुपए खर्च कर DKS अस्पताल में नया ऑक्सीजन प्लांट खोला गया था, लेकिन लगभग दो साल से यह बंद पड़ा है. इस मामले को लेकर मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि कोरोना के समय आक्सीजन की डिमांड बढ़ गई थी. डीकेएस सहित कई अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाया गया था. कुछ कारणों के चलते यह बंद पड़ा है. इसे जल्द चालू कराने अधिकारियों को निर्देशित किया गया है. लगातार निर्देश के बाद भी प्लांट की तकनीकी खामियों को दूर नहीं करने पर संबंधित एजेंसी और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. जरूरत पड़ेगी तो इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

बताया जा रहा कि ऑक्सीजन प्लांट में करोड़ो रुपए खर्च हुए, लेकिन ये हमेशा बंद रहता है. अब सवाल आखिरकार यह उठता है कि करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट के बंद होने का जिम्मेदार कौन है. अगर आने वाले समय में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो इसकी आपूर्ति कैसे होगी.

बता दें कि दाऊद कल्याण सिंह अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट खोला गया था, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाहर से होती है. राजधानी रायपुर के डीकेएस अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर बाहर से प्राइवेट जगह से मंगवाया जाता है. बाहर से आने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से ही अस्पताल में इसकी आपूर्ति होती है.

रोज बाहर से मंगवाते हैं 400 सिलेंडर

जानकारी के मुताबिक रोज अस्पताल में 400 सिलेंडर बाहर से मांगवाई जाती है. इसके लिए महीने में 18 से 20 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है. इस हिसाब से एक साल में 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर आपूर्ति के लिए किया जाता है. अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर लाने ले जाने वाले मजदूर बताते हैं कि करोड़ों रुपए का मशीन प्लांट के अंदर धूल खा रहा है, इसके बावजूद यहां ऑक्सीजन का निर्माण नहीं हो रहा है.

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