रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले में सरकारी कार्यालयों की कार्यसंस्कृति और अनुशासन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए कलेक्टर कुन्दन कुमार ने आज कलेक्टोरेट परिसर में स्थित विभिन्न विभागीय कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शिक्षा विभाग, समाज कल्याण और उद्योग विभागों में बड़े पैमाने पर लापरवाही उजागर हुई।

शिक्षा विभाग में चिंताजनक स्थिति

सबसे गंभीर स्थिति शिक्षा विभाग की रही, जहां जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) चन्द्र कुमार घृतलहरे सहित कई अधिकारी और कर्मचारी बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए। स्थिति तब और चिंताजनक हो गई जब गैरहाजिर अधिकारियों के नाम उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज पाए गए।

निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित मिले ये प्रमुख अधिकारी

चन्द्र कुमार घृतलहरे , जिला शिक्षा अधिकारी, ओ.पी. कौशिक जिला मिशन समन्वयक, अजय नाथ – सहायक जिला परियोजना अधिकारी,सहायक परियोजना समन्वयक , प्रोग्रामर, सहायक ग्रेड-03 व 02, कंप्यूटर ऑपरेटर, भृत्य आदि इसके अतिरिक्त, जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक व प्रबंधक, तथा समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक और कम्प्यूटर ऑपरेटर भी बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए।

गंभीर अनुशासनहीनता

समग्र शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत प्रोग्रामर शशिभूषण पांडेय अनुपस्थित रहते हुए भी उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करते पाए गए। इस मामले को गंभीर अनियमितता और फर्जीवाड़ा मानते हुए कलेक्टर ने उक्त कर्मचारी को सेवा से पृथक करने की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर की सख्त चेतावनी

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर कुन्दन कुमार ने सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि “कार्यालयों में अनुशासनहीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पारदर्शिता, समय पालन और ईमानदारी शासन की मूल प्राथमिकताएं हैं।”

ये हुई कार्रवाई

उन्होंने 20 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने, एक दिन का वेतन काटने तथा संबंधित मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कही यह बात

कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान उपस्थिति पंजी का गहन निरीक्षण, बिना सूचना अनुपस्थिति पर सख्त टिप्पणी, कार्यालयीन अनुशासन का पालन अनिवार्य करने के निर्देश दिए। भविष्य में और भी औचक निरीक्षण की चेतावनी दी है। कलेक्टर ने कहा कि जिले में लोक सेवा की गुणवत्ता सुधारना और सार्वजनिक विश्वास बनाए रखना शासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इस उद्देश्य के लिए प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही सर्वोपरि है।