ललित सिंह, राजनांदगांव. लगन और जुनून के बलबूते कमजोर व्यक्ति भी असंभव को संभव कर सकता है. एक ऐसा ही काम राजनांदगांव की ज्ञानेश्वरी यादव ने कर दिखाया है. उन्होंने विदेश में आयोजित जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल लेकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है. वहीं प्रदेश की पहली महिला वेटलिफ्टर बनी हैं. उनके माता-पिता का कहना है कि सरकारी मदद मिला तो उनकी बेटी देश के लिए और भी मेडल बटोर सकती है.

शासकीय दिग्विजय कॉलेज में बीए प्रथम में पढ़ने वाली छात्रा ज्ञानेश्वरी यादव ने ग्रीस में आयोजित जूनियर वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ओवरआल 156 किलोग्राम वजन उठाकर सिल्वर मेडल हासिल किया है. ज्ञानेश्वरी के पिता दीपक यादव पेसे से बिजली मैकेनिक हैं और प्राइवेट संस्था में काम करते है़ं. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी पिता ने कभी बेटी को खेलने से नहीं रोका बल्कि बेटी की रुचि को देखते हुए वेटलिफ्टिंग जैसे हैवी प्रैक्टिस वाले खेल के लिए प्रोत्साहित किया और बच्ची के लिए हजारों खर्च किए. जरूरत पड़ी तो ज्ञानेश्वरी के पिता ने अपने दोस्तों से आर्थिक मदद ली और बेटी और अपने सपने को साकार किया.


अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली

ज्ञानेश्वरी के पिता दीपक यादव व उनकी मां दुर्गा यादव का कहना है कि आर्थिक तंगी के बाद भी ज्ञानेश्वरी का खेल लगातार निखरता गया पर उन्हें अभी तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है. इसके बाद भी ज्ञानेश्वरी का खेल बदस्तूर जारी है. वह अपने खेल का लोहा हर जगह मनवाते हुए आ रही है. अगर सरकारी प्रोत्साहन और सही प्रशिक्षण मिले तो आने वाले समय में ज्ञानेश्वरी और भी मैडल देश के लिए बटोर सकती है. उनका सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में देश के लिए पदक लाएं.


अब तक जीत चुकी हैं कई पदक

ज्ञानेश्वरी 2022 में भुवनेश्वर में आयोजित ओपन जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक प्राप्त कर वर्ल्ड स्तर की प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई थी. ज्ञानेश्वरी के खाते में और भी पदक हैं. वह राष्ट्रीय गेम्स 2018 गुवाहाटी में कास्य पदक, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2019 में रजत पदक, 2020 में ओपन यूथ एवं जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में रजत हासिल किया है.