गोविन्द पटेल, लखनऊ. भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. गन्ने की खेती के साथ देशी गाय साहीवाल या हरियाणा या गिर का पालन करें. इससे गन्ने का उत्पादन बढ़ेगा, खेत की उर्वरा शक्ति गोबर की खाद के प्रयोग से बढ़ेगी. देशी गाय के दूध पीने से किसान और उसके परिवार के सदस्य स्वस्थ रहेंगे. गन्ना फसल में कीट रोग का प्रकोप कम होगा किसान खुशहाल होंगे. ये बातें राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित गन्ना कृषक अध्ययन यात्रा दल को संबोधित करते हुए कही.

निदेशक ने बताया कि इस डेरी संस्थान में 2000 से अधिक गाय भैंस हैं. प्रतिदिन 60000 लीटर दूध गाय भैंस से मिल रहा है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद दूध उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है. आजादी के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है. इस समय देश में श्वेत क्रांति देखी जा रही है. इस संस्थान द्वारा कृषकों व विद्यार्थियों को देश में डेरी उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रबंधन में बड़ी संख्या में प्रशिक्षित किया जा रहा है. यहां के विद्यार्थी आत्मनिर्भर बनकर दूसरों को रोजगार दे रहे हैं, इस बात की हमें खुशी है.

विश्वेश कनौजिया निदेशक, लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान ने गन्ना किसानों को इस डेरी संस्थान में व्यावहारिक जानकारी लेने के लिए भेजा है. यात्रा का नेतृत्व कर रहे सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता ने निदेशक डॉ. धीर सिंह को बताया कि इस यात्रा में पूर्वी-उत्तर प्रदेश, मध्य-उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी-उत्तर प्रदेश के किसान सम्मिलित है, जिनका चयन गन्ना विभाग ने किया है.

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कुलपति एवं निदेशक ने किसानों को बताया कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में यह अध्ययन यात्रा वरदान सिद्ध होगी तथा आने वाला समय कृषि क्षेत्र और किसान का होगा. सबसे अधिक रोजगार कृषि क्षेत्र में होगा. पशुपालन, बागवानी, मुर्गी पालन, मछली पालन, सब्जी की खेती, एथेनॉल उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मोटे अनाज की खेती आदि के क्षेत्र में होगा. आने वाला समय “शहर से गांव की ओर” होगा. यहां की साहीवाल गाय 20 से 25 लीटर दूध, मुर्रा भैंस 25 से 30 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं. पशुओं के हरे चारे के लिए 390 हेक्टेयर में चारा बोया जाता है. यहां की गाय भैंस बकरी देखिए घर जाकर देशी गाय का पालन कीजिए, उदाहरण देते हुए डॉक्टर सिंह ने बताया कि अपने दुधारू पशुओं को रात को ₹100 का दाना खिलाए सुबह ₹200 का दूध देगी.

गन्ना किसान को चार से पांच महीना गाय-भैंस के लिए हरा चारा गन्ने के अगोला से मिलता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुशहाली का कारण खेती के साथ पशुपालन है. यहां पर 150 सांड़ व भैंसा सीमन उत्पादन के लिए पाला गया है. गाय भैंस का सीमेन बीज किसान को 50 से 60 रुपए में देते हैं. यहां पर दूध, दही, पनीर, घी, मिठाई आदि तैयार किया जा रहा है, विक्रय केंद्र पर जाकर देखें.

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