रायपुर. एंटी सुपरस्टीशन ऑर्गेनाइजेशन (एएसओ) के अध्यक्ष मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में सुनने में आ रहा है कि सर्पदंश से झाड़फूंक करने के कारण हर साल 50 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. यहां गांवों में मेडिकल सुविधाओं का न होना और हॉस्पिटल दूर होने के कारण भोले-भाले ग्रामीण ओझा-तांत्रिक (ढोंगी बाबाओं) के जाल में फंस कर जान गवा रहे हैं.
टिकेश कुमार ने कहा कि कुछ तांत्रिक झाड़फूंक से तो कुछ शराब की बोतल रखकर और थाली पीठ पर चीपकाकर सर्प के विष को निकालने का दावा करते हैं. एक वीडियो में देखा गया कि एक तांत्रिक मंत्र पढ़ते हुए, रोगी के पीठ पर थाली को चीपकाकर दिखा रहा है. इस बाबा का दावा है कि उसे आठ बार सांप ने काटा है और उसे कुछ नहीं हुआ है.
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तांत्रिक बाबा का थाली चिपकाना सामान्य है, पीठ में चिपचिपेपन और उस स्थान पर बैलेंस बनने के कारण कुछ समय के लिए थाली चिपक जाती है. विशेषज्ञों के माने तो आठ से दस प्रतिशत ही सांप जहरीले होते हैं, इसीलिए कुछ लोगों को सांप काट देता है तब भी से कुछ नहीं होता है, लेकिन हमें पता नहीं चलता कि जिस सांप ने काटा उस सांप में जहर है कि नहीं इसलिए डॉक्टर को दिखाइए न कि ओझा, तांत्रिक और बाबाओं को.
मनोवैज्ञानिक टिकेश कुमार ने कहा कि तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक से मरीज ठीक नहीं होता हैं, सर्पगंधा के मरीज को को तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए और इस संबंध में लोगों को जागरूक करने की जरूरत हैं. सरकार को चाहिए तांत्रिक-बाबाओं पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और लोगों से अपील है कि तांत्रिक बाबाओं से बचें.
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