सुशील सलाम, कांकेर। विकास के दावे हजार किए जाते हैं लेकिन उनकी हकीकत कोसों दूर नजर आती है। आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसा ही आलम कांकेर जिले के दुर्गकोंदुल के ग्राम सोनपाल का है बरसात के दिनों में इस गांव के लगभग चार सौ परिवार का संपर्क जिला मुख्यालय और पंचायत मुख्यालय से टूट जाता था। स्कूली बच्चों समेत ग्रामीणों को आवाजाही में काफी परेशानी होती थी। कारण था सोनपाल गाँव को जोड़ने वाला पुलविहीन कोरकसा नाला।
जहां बरसात के दौरान नाला उफान पर रहने से आवाजाही ठप्प हो जाती थी। जिसके लिए ग्रामीणों ने जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर,कांकेर जन दर्शन,विभागीय आला अफसर समेत तमाम क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से पुलिया बनाने की मांग की परंतु ग्रामीणों को उनके मांगो पर सिर्फ आश्वासन ही मिला।
मंत्री ने भी दिया सिर्फ आश्वासन
यहां तक ग्रामीणों ने पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर तक फरियाद की और उन्हें लिखित में अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। परंतु मंत्री जी ने भी सभी आला अफसरों के जैसे ग्रामीणों को सिर्फ अस्वासन ही दिया। जब ग्रामीणों ने देखा कि मंत्री समेत आला अफसर भी उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रहे तो सोनपाल के ग्रामीणों ने गाँव मे बैठक बुलाई और खुद श्रमदान कर अस्थाई पुलिया बनाने का निर्णय लिया।
शासन-प्रशासन को दिखाया आईना
सोमवार को ग्रामीण कुल्हाड़ी,हथौड़ा,कील,बांस बल्ली समेत तमाम उपयोगी समान लेकर पहुंच गए पुलिया बनाने। जहाँ ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर बांस और बल्ली के जरिये अस्थाई पुलिया बनाया। जिसमे गांव के लगभग पचास से अधिक ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर लगभग छह मीटर अस्थाई पुलिया का निर्माण कर आला अफसर,प्रशासन, मंत्री समेत तमाम क्षेत्रीय प्रतिनिधियो को यह दिखा दिया कि शासन प्रशासन के बिना भी ग्रामीण जी सकते है और उन्हें प्रशासन के झूठे विकास के दावों की आवश्यकता नहीं है।
बरसात में प्रदेश से कट जाता था संपर्क
स्थिति इतनी दयनीय थी कि बरसात के दिनों में महतारी और संजीवनी एक्सप्रेस जैसे आपातकालीन सुविधा का भी लाभ ग्रामीण नहीं ले सकते थे । क्योंकि कोरकसा नाला पर पुलिया नहीं होने की वजह से उफान पर रहता था। जिससे महतारी और संजीविनी वाहन तो दूर ग्रामीण किसी मरीज को खाट में गाँव से बाहर भी नहीं ले जा सकते थे। जिसकी वजह से गांव में हर साल कई लोगों की इलाज के अभाव में मौत तक हो चुकी है।