पूजा पाठ का विशेष महत्व माना जाता है. सभी सुबह-शाम घर के मंदिर में दीपक जलाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि सुबह और शाम की पूजा में अंतर होता है. जहां सुबह पूजा-पाठ के लिए अधिक समय होता है, वहीं शाम को कम समय होता है. ऐसे में इस पूजा में विशेष ध्यान देना जरूरी है. इसलिए हिंदू धर्म के कुछ नियमों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है.

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, शाम को सूर्यास्त के बाद अगर पूजा की जाती है तो शंख या घंटी नहीं बजानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि यह वह समय होता है जब देवी-देवता शयन के लिए चले जाते हैं. इसलिए इस समय शंख या घंटी बजाने से आराम में खलल पड़ सकता है. यही कारण है कि शंख या घंटी सूर्यास्त से पहले बजाना उचित माना जाता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद नहीं.

शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद यदि किसी देवता की पूजा की जा रही हो तो सूर्य देव का आह्वान नहीं करना चाहिए. इसे वर्जित माना जाता है. शाम के समय फल या पत्ती को न तोड़ें. विशेषकर शाम के समय तुलसी के पत्ते न तोड़ें. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु क्रोधित हो सकते हैं.

पूजा को बीच में रोकना अच्छा नहीं माना जाता है, कोशिश की जाती है कि शाम के समय भी पूजा एकाग्रता से की जाए. माना जाता है कि पूजा के लिए सुबह 4 से 5, 9 बजे और शाम 4:30 से 6 बजे का समय शुभ होता है.