रायपुर. सभी अभिभावक अपने बच्चे की कमजोरी, उसकी अच्छाई या बुराई तथा आदत व्यवहार के बारे में बहुत अच्छी तरह जानते हैं. किंतु इसके बावजूद भी अभिभावक सोचे बिना अपने बच्चें को घर से दूर भेज देते हैं.

यदि बच्चे को घर से दूर रखना आवश्यक हो और उसके कुछ व्यवहार जैसे दब्बू हो अथवा बहुत आक्रामक होना या आसानी से लोगो से घुलमिल जाना अथवा बिलकुल भी मिलनसार ना होना, इसके साथ ही खान-पान संबंधी आदतें, सोने जागने संबंधी व्यवहार के आकलन को देखते हुए ही कोई फैसला करना चाहिए.

आपका बच्चा कई बार संगत में पड़कर गलत आदतें जैसे नशा करना, रात तक बाहर पार्टी करना, क्लास न अटैंड करना इसी प्रकार के अन्य व्यवहार सीख सकता है. साथ में रहने पर लगातार नजर होने से पता भी चलता है.

किंतु दूर होने से आपको पता चलते तक कहीं देर न हो जाए इसलिए बच्चे को घर से दूर रहने के लिए भेजने से पूर्व उसके ज्योतिषीय विश्लेषण कराया जाकर उसके लग्न, तीसरा और एकादश स्थान का विश्लेषण एवं चलने वाली दशाओं का आकलन कराकर देखें कि अगर उसका तीसरा या एकादश स्थान छठवे, आठवें या बारहवें स्थान पर हो और इन ग्रहों की दशाएं चल रही हो तो बच्चे को डिप्रेशन आ सकता है.

ये ग्रह सातवें स्थान पर हो जाए तो ऐसे लोग दूसरों के ऊपर भरोसा कर अपना मूल कार्य छोड़कर या पढ़ाई छोड़कर गलत संगत में पड़कर जीवन खराब कर बैठते हैं.

कई बार घर से दूर रहने पर खानपान की विभिन्नता के कारण स्वास्थ्यगत कष्ट भी पढ़ाई में बाधा दे सकती है. इसकी जानकारी भी कुंडली की ग्रह स्थिति एवं दशाओं से लगाया जा सकता है.

अतः ऐसी स्थिति में दूर भेजने के अपने फैसले से पूर्व कुंडली दिखा लें और यदि उसका तृतीयेश या पंचमेश छठवे, आठवें या बारहवें स्थान में हो जाए अथवा तृतीय भाव या भावेश क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत है तो उसे कदापि घर से दूर ना भेजें और यदि भेजना आवश्यक हो तो इन ग्रहों की शांति कराने के साथ आवश्यक ज्योतिषीय उपाय भी कराना चाहिए.

इसके अलावा भृगु कालेंद पूजा कराना, अर्थव गणपति मंत्र का जाप करना, बच्चे के विशेष ग्रह स्थिति का पता कर उसके अनुसार ग्रह शांति कराना एवं अनुशासन का पालन करने की आदत पहले से डलवाना चाहिए. इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ करने को प्रोत्साहित जरूर करें.