प्राचीन भारतीय परंपरा में सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है, जिसे अब कई लोग अपने आत्मविश्वास और सौभाग्य में वृद्धि के लिए अपना रहे हैं. यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली अनुष्ठान है जो न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है

क्या है अर्घ्य की विधि?

  • ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुष्ठान को सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में शुरू करना चाहिए.
  • तांबे के लोटे (कलश) में स्वच्छ जल भरें. तांबा सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित करने में सहायक माना जाता है.
  • इस जल में एक लाल फूल (जैसे गुड़हल या गुलाब) डालें.
  • इसके बाद, सूर्य की ओर मुख करके धीरे-धीरे अर्घ्य दें, ताकि जल की धारा के बीच से सूर्य की किरणों को देखा जा सके.

आत्मविश्वास में वृद्धि होगी

मान्यता है कि नियमित रूप से इस विधि से सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सूर्य देव को आत्मबल, मान-सम्मान और स्वास्थ्य का कारक माना जाता है. जब कोई व्यक्ति प्रतिदिन उन्हें जल अर्पित करता है, तो कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है. आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है. मान-सम्मान और उच्च पद की प्राप्ति होती है. जीवन में सफलता और समृद्धि के द्वार खुलते हैं, जिससे दुर्भाग्य दूर होकर भाग्य का उदय होता है.