बच्चे के जन्म के साथ ही उससे जुड़ी बहुत सारी बातों का ध्यान रखना माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है. बच्चों को सुरक्षित रखना, बीमारियों से बचाना और सही समय पर दूध पिलाना पैरेंट्स की ड्यूटी होती है. अधिकतर मॉम्स अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं. ब्रेस्टफीडिंग बच्चे और मां के बीच एक अटूट रिश्ता स्थापित करने की कड़ी हो सकता है. कई बार कुछ Problem की वजह से बच्चों को Bottle से दूध पिलाने पर मजबूर हो जाती हैं.

लेकिन क्या आपको पता है बोतल का दूध बच्चे के लिए ज्यादा फायदेमंद नही होता है और कई बार तो बच्चों को इस कारण से कुछ बीमारी भी हो जाती है. इसलिए Bottle दूध पिलाने से बचें. Read More – नन्हें फैन ने तोड़ा Big B का सुरक्षा घेरा, जाकर छू लिए Amitabh Bachchan के पैर, भावुक हो गए महानायक …

डायरिया का खतरा

छोटे बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से डायरिया का खतरा होता है. Bottle का निप्पल जर्म्स को शरीर के अंदर पहुंचाने का सबसे बड़ा स्त्रोत है. यहां माइक्रोऑर्गैनिस्म चिपक सकते हैं और दूध पिलाते समय बच्चे की शरीर में जा सकते है. अगर बच्चे को पहले से ही कोई बीमारी है या फिर बच्चा अंडरवेट है, तो ऐसे में डायरिया जानलेवा हो भी साबित हो सकता है. शिशुओं को सेहत के साथ कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहिए इसलिए दूध को बोतल से पिलाने को नजरंदाज करना चाहिए.

चबाने की आदत नहीं आती

लगातार Bottle से दूध पीने वाले बच्चे चबाने वाली चीजें ज्यादा नहीं खाते, क्योंकि उन्हें चूसने की अपेक्षा चबाना अधिक कष्टदायक लगता है. नतीजतन बच्चे को कब्ज की शिकायत हो जाती है.

पोषण की कमी

मां के दूध मे बहुत सारे पोषण तत्व मौजूद होते हैं, जो कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं. मां के दूध से बच्चे को प्राकृतिक रूप से कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन, मैग्नेशियम और कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं. जबकि Bottle के दूध में ये सब मौजूद नहीं होते. इससे शिशु में पोषण की कमी हो सकती है. पोषण की कमी का शिकार होने से शिशु अन्य बीमारियों की चपेट के आ सकता है. शिशु की विकास प्रगति धीमी पड़ सकती है.

मां और बच्चे के संबंधों पर असर होता है

स्तनपान से मां और बच्चे के बीच में स्नेह का एक गहरा संबंध स्थापित होता है. मां और बच्चे के बीच के रिश्ते को गहरा करने के साथ ही स्तनपान करने से बच्चे को भी काफी आराम मिलता है. जबकि Bottle का दूध पीने से बच्चा और मां दोनों ही इस तरह का अनुभव नहीं कर पाते हैं. Read More – Constipation : अगर आपको भी है कब्ज की परेशानी, तो रोज करें उत्कटासन …

फेफड़ों में दिक्कत

बोतल से दूध पिलाने में चोकिंग का सबसे ज्यादा खतरा होता है. कई बार बच्चे दूध पीते-पीते सो जाते हैं और दूध से भरी Bottle उनके मुंह में ही लगी रह जाती है. इससे बच्चे का दम घुट सकता है. इससे दूध बच्चे के गले में अटककर हवा को ब्लॉक कर सकता है. बच्चे को सांस लेने मे कठिनाई हो सकती है और फेफड़ों से संबंधित समस्याएं हो सकती है. इसलिए अगर बच्चे को बोतल से दूध पिला रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप बच्चे के आस पास ही रहें, जिससे इस तरह की स्थिति न बन सके.

इम्यून सिस्टम पड़ सकता है स्लो

मां के दूध में इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि विटामिन A, विटामिन C, प्रोटीन आदि. ये सभी न्यूट्रीएंट फॉर्मूला मिलकर यानी बॉटल से पिलाए जाने वाले दूध में नही मिलते. वहीं Bottle से पीये गए दूध में नुकसानदायक तत्व हो सकते हैं. इससे दूध में मौजूद न्यूट्रीएंट्स ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते हैं. जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर और धीमा पड़ सकता है.

बोतल से दूध पिलाते समय बरतें यह सावधानियां

  1. बच्चों की बोतल से दूध पीने की निर्धारित उम्र समाप्त हो जाने के बाद कोशिश करें कि उन्हें कप या फिर छोटी कटोरी में दूध पिलाने की आदत डालें.
  2. बच्चे की दूध की बोतल भरने से पहले उसे पोछने की बजाय उसे अच्छी तरह से धोएं। ताकि किसी भी तरह के बैक्टीरिया बोतल के संपर्क में न आ सकें.
  3. बोतल प्लास्टिक की होती है, इसलिए उसमें ज्यादा गर्म दूध डालने से बचें. ऐसा करना बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.
  4. बोतल गीली रहने पर उसमें जर्म्स और बैक्टीरिया पनपने की आशंका अधिक रहती है, इसलिए इसे धोने के बाद अच्छे से बोतल को सूखा लें.
  5. बच्चे अगर बोतल में दूध छोड़ देते हैं तो उसे तुरंत दूसरे कटोरी में पलट लें, लंबे समय तक दूध को बोतल में रखे रहने से बचें.