हर मां अपने बच्चों को डांटती हैं, ताकि वे डरे और परेशान न करे. गलती न करे, शरारत न करे. मगर, डांटने के बाद फिर पछतावा होता है, इसे इस भावना को ‘मॉम गिल्ट’ कहा जाता है. बच्चों की शरारतें, और मां का डांटना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. समाज या परिवार की अपेक्षाओं के अनुसार भी अगर महिलाएं नहीं चल पाती हैं तो भी मॉम गिल्ट कहा जाता है. मॉम गिल्ट न हो, इससे बचाव भी आसान है. आज हम इसी के बारे में बताएंगे कि मॉम गिल्ट से कैसे बचें.

मेडिटेशन करें

कई बार बच्चों की शरारतें इतनी बढ़ जाती हैं, कि मां बच्चों पर जोर से चिल्ला देती हैं. कई बार गुस्से में झापड़ भी लगा देती हैं. मगर, बाद में पछतावा होता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए खुद को शांत रखें. मेडिटेशन या ध्यान का सहारा लें.

बच्चे का ध्यान बांटने की कोशिश करें

आपको यह बात समझनी होगी कि बच्चा सरारत करेगा. आप जिस चीज के लिए जितना रोकेंगे, वह उतना उसी चीज को दोहराएगा क्योंकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. ऐसे में शांत रहें. बच्चों को शरारत करने दें. उस पर ध्यान न दें. इससे वह खुद ही उस काम को करना बंद कर देगा. बच्चों को शिक्षाप्रद चीजें करने के लिए प्रेरित करें. ध्यान डाइवर्ट करने की कोशिश करें और उनके साथ समय ​बिताएं. 

आप गलत नहीं है, इस बात को खुद को महसूस कराएं

आप इसलिए डांट-डपट कर रहे हैं, ताकि बच्चा गलत काम न करे. उसे रोक करे हैं तो ताकि उसे चोट न लगे. आप अपनी जगह सही हैं. क्योंकि यह 100 प्रतिशत सही है कि सजा पाकर कोई सुधर नहीं सकता. खासकर बच्चे. इसलिए प्यार के विकल्प को अपनाना चाहिए. आप बच्चों को खेल-खेल में अनुशासन में जीना सिखाएं. एक समय के बाद आप बच्चों में बदलाव महसूस करेंगे.

सपोर्ट सिस्टम बनाएं

खुद के लिए एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम बनाएं,तो ऐसे वक्त पर आपको सपोर्ट करें,आपको समझें. जैसे- हस्बैंड या परिवार के अन्य सदस्य. सपोर्ट ​मिलने से आप कभी खुद को अकेला महसूस नहीं करेंगी. मॉम गील्ट से बचने के लिए अपनी लिमिट्स को निर्धारित करें.