RPF Latest News: प्रतीक चौहान. क्या आप भी अपनी पत्नी को अकेले मायके भेजते है, या मायके से अकेले ससुराल बुलाते है… तो जरा सावधान हो जाइये, क्योंकि छत्तीसगढ़ की ट्रेनों में इन दिनों पेपर गैंग एक्टिव है, हालांकि इस गैंग को सीआईबी बिलासपुर की टीम ने अब पकड़ लिया है. लेकिन ये गैंग कैसे वारदात को अंजाम देते है ये जानना जरूरी है.
इस गैंग को पकड़ने वाली टीम के मुताबिक ये गैंग केवल अकेले ट्रेन में सफर करने वाली महिलाओं को अपना टारगेट बनाते है. ये गैंग इतना शातिर होता है कि उन्हें इस बात का अंदाजा हो जाता है कि महिला अकेले मायके से ससुराल के लिए सफर कर रही है या ससुराल से मायके के लिए.
ये गैंग अकेली महिला को टिकट काउंटर से ही अपना टारगेट बना लेते है. हैरानी की बात ये है कि ये गैंग लोकल ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं को टारगेट बनाने में अपनी प्राथमिकता में रखते है. महिला जैसे ही टिकट काउंटर में टिकट लेने पहुंचती है तभी से वे उसका पीछा करना शुरू कर लेते है. पेपर गैंग में करीब 3 सदस्य होते है.
ये गैंग टिकट काउंटर से ही महिला का पीछा करना शुरू कर देते है.
ऐसे वारदात को अंजाम देता है पेपर गैंग
अक्सर ऐसा होता है कि अकेली सफर करने वाली महिला अपना बैग ट्रेन की ऊपर सीट में रखकर नीचे आराम से बैठ जाती है. महिला जैसे ही बैग ऊपर रखती है वहीं बाजू में गैंग का एक सदस्य इसके बाद गैंग के दो सदस्य ऐसे बैठते है कि वे महिला के सामने हो. इसके बाद पेपर गैंग के सदस्य महिला से उसका बैग छिपाने के लिए पेपर पढ़ना शुरू कर देते है.
जिससे महिला का बैग उसकी आंखों से छिप जाता है. इसके बाद गैंग का वो सदस्य जो ऊपर की सीट पर बैठा होता है वो ट्रॉली बैग/हैंड बैग को स्क्रू ड्राइवर से खोलकर यात्री सामान को चोरी करके खुद के साथ रखे पिट्ठू बैग में सामान को छिपा लेते है. इसके बाद तत्काल खोले गए बैग की चैन को वापस फेवी क्विक लगाकर चिपका देते है और वेसलिन लगाते हुए चैन को बंद करके घटना को अंजाम देते है.