रायपुर। आज दुनियाभर में विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है. वो रेडियो जो लोगों को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन का सबसे अहम माध्यम हुआ करता है. संचार क्रांति के दौर अब भले ही मनोरंजन के बहुत सारे साधन उपलब्ध हैं, लेकिन रेडियो की जगह कोई नहीं ले पाया है. मोबाइल फोन पर रेडियो सुनने की सुविधा उपलब्ध होने से श्रोताओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसकी पहुंच गांव-गांव घर-घर तक है.

आकाशवाणी की स्थापना 23 जुलाई 1927 को हुई थी. तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा रखा गया था. 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा.

आकाशवाणी की बहुत भाषाओं में विभिन्न सेवाएं हैं, जो देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं. जब आकाशवाणी की शुरुआत हुई उस समय इसका उद्देश्य किसान, ड्राइवर, मजदूर और विद्यार्थियों के लिए कार्यक्रम प्रसारित करना था. आकाशवाणी यानी ऑल इंडिया रेडियो का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से किया जाता है. अकाशवाणी में जब भी किसी कार्यक्रम की शुरुआत होती थी तो सबसे पहले कहा जाता है. ‘ये आकाशवाणी है, संकट की घड़ी में रेडियो ने आम जिंदगी में ऐसा असर छोड़ा की मन के साथ माहौल भी शांत हुआ.

प्रसार भारती का कहना है आकाशवाणी की किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं है. हमारा उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना नहीं है. आकाशवाणी का मनोरंजन लोगों का स्वस्थ मनोरंजन करना, सूचनाएं उपलब्ध कराना और उनको शिक्षित करना भी है. हमारा सामाजिक दायित्व भी है. हमारे कार्यक्रम बच्चों, युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए होते हैं. हम अपने कार्यक्रमों की गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकते हैं. यही वजह है कि आज आकाशवाणी के कार्यक्रम हर घर में सुने जाते हैं. एप की सुविधा आने के बाद को आकाशवाणी की लोकप्रियता और बढ़ी है.

ऐसे शुरू हुआ “यह आकाशवाणी है”…

किशन शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं है. रेडियो से उनकी आवाज़ लोगो के कान में घुलमिल गई. किशन शर्मा गायक, गीत कर, संगीत निर्देशक के साथ बहुमुखी प्रतिभा के घनी रहे. विविध भारती के अत्यंत लोकप्रिय एलाउंसर किशन शर्मा 28 साल आकाशवाणी से जुड़े रहे. 1964 से 1991 तक किशन शर्मा और आकाशवाणी एक दूसरे के पर्याय बने रहे. वे एक ही वाक्य असंख्य बार बोलते,,, यह आकाशवाणी है,,, उनका परिचय बन गया था.

श्रोताओं को इसने नाराज किया

बरसों से देश की सुरीली धड़कन के रूप में पहचान बना चुकी आकाशवाणी के कई केंद्रों से अब क्षेत्रीय बोलियों के महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय कार्यक्रमों पर प्रसार भारती ने अब कैंची चलाकर अपने श्रोताओं को खासा नाराज कर दिया है.

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