अलंकार तिवारी,अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मेडिकल कॉलेज है, जहां डॉक्टर नहीं बैगा मरीजों का इलाज करते है. सुनने में यह बात जरूर कुछ अटपटी लग रही होगी कि कोई मेडिकल कॉलेज में बैगा कैसे मरीजों का इलाज कर सकता है. लेकिन यह सच है.

हम बात कर रहे है अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की. जहां का नजारा आज देखने लायक था. यहां चिकित्सकीय इलाज के साथ ही अंधविश्वास का खेल भी देखने को मिला. मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल के सर्जिकल वार्ड नंबर 3 में बतौली के ग्राम बोदा से बैगा एक मरीज का इलाज झाड़ फूंक से करने पहुंचा.

जानकारी के मुताबिक बैगा जिस मरीज का इलाज करने पहुंचा था वह दो दिन पहले ही पेड़ से गिरकर बुरी तरह से जख्मी हो गया था. जिसे उपचार के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. मरीज का नाम विरमोहन है. इसी बीच इस घटना की जानकारी विरमोहन के पड़ोस में रहने वाले एक बैगा शिवकुमार को लगी. जिसने विरमोहन के परिजनों को बताया कि विरमोहन पर किसी भूतप्रेत का साया है. जिसे वह अपने झाड़ फूंक से दूर कर सकता है. उसके बाद परिजन बैगा को अस्पताल ले आये और विरमोहन का झाड़ फूंक कराने लगे. झाड़ फूक का यह क्रम काफी देर तक चलता रहा. जिन्हें आप इन तस्वीरों में साफ देख सकते है.

यह बैगा अपने आप को एक सिद्ध पुरुष बता रहा है. इतना ही नहीं इसका दावा है कि वह एक बार भी किसी को झाड़ फूंक कर दे, तो वह चाहे किसी भी बीमारी से पीड़ित क्यों न हो ठीक हो जाता है. इतना ही नहीं इसका यह भी दावा है कि इसे भूत प्रेतों की पहचान है और वह इससे पीड़ित लोगों को उससे मुक्त भी कराता है.

वही जब इस बारे में मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने इस पूरी घटना से अभिज्ञता जाहिर करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया.

 

इक्कीसवीं सदी के इस दौर में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चौका देने वाला यह मामला प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही को उजागर कर रहा है. वही इस बात की भी तरफ इशारा कर रहा है कि अंधविश्वास उन्मूलन और जागरूकता के तमाम दावे अभी कागजों में ही सिमटे हुवे हैं, और उन्हें अभी अमल में लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.