दंतेवाड़ा। क्या पहुंच और दबाव के बल पर व्यवस्था को अपनी सुविधा के मुताबिक मोड़ा जा सकता है? क्या सालों तक अनुपस्थित रहने वाला कोई डॉक्टर अफसरों की चेतावनियों को नजरअंदाज कर सीधे जिम्मेदार पद पर बैठ सकता है? गीदम में डॉ. देवेंद्र प्रताप को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) बनाए जाने के बाद विभाग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

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डॉ. देवेंद्र 2021 से लगातार गैरहाजिर थे. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन ने उन्हें 5 बार नोटिस थमाया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. 6 जून 2022 को CMHO ने स्वास्थ्य सेवा संचालक को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी की थी. इसके बावजूद अब उन्हें सीधे BMO बना दिया गया है.

नोटिसों की सूची देखें तो चौंक जाएंगे. पहली बार 23 मई 2022 में, दूसरी बार 6 जून 2022, तीसरी बार 10 मार्च 2023, चौथी बार 23 सितंबर 2023 और पांचवी बार 12 जून 2024 में. लेकिन सभी नोटिस का कोई जवाब नहीं आया.

पहुंचा जवाब और बन गए BMO

30 मई 2025 को उप संचालक ने CMHO को पत्र भेजा कि डॉक्टर ने जवाब दिया है वे पारिवारिक कारणों से अनुपस्थित थे, और अब काम पर लौटना चाहते हैं. इसके बाद 4 जुलाई को CMHO ने आदेश जारी कर उन्हें गीदम का BMO बना दिया.

राजनीतिक दखल का आरोप

सूत्रों की मानें तो दंतेवाड़ा CMHO अजयराम टेके पर भारी राजनीतिक दबाव बनाकर ये नियुक्ति करवाई गई. हालांकि, CMHO ने इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है. वहीं दंतेवाड़ा कलेक्टर कुणाल दुदावत ने कहा कि अगर कोई शिकायत मिलेगी तो जांच जरूर कराई जाएगी.

कांग्रेस का हमला, भ्रष्टाचार का आरोप

कांग्रेस का आरोप है कि डॉ. देवेंद्र पर पहले भी मरीजों से दुर्व्यवहार और लापरवाही के आरोप लगे थे. यही नहीं, जनता के विरोध के बाद 2021 में उन्हें कोविड अस्पताल के प्रभार से हटाया गया था. गीदम की पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष साक्षी रविश सुराना ने इस नियुक्ति को भ्रष्टाचार की पूर्व तैयारी बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने इस पोस्टिंग को लाभ और सौदेबाजी के लिए इस्तेमाल किया है.

भाजपा का पलटवार

भाजपा जिला अध्यक्ष संतोष गुप्ता ने नियुक्ति में भ्रष्टाचार और राजनीतिक रसूख के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी ने किसी की नियुक्ति में हस्तक्षेप नहीं किया. उन्होंने कांग्रेस के कार्यकाल की भी जांच की मांग की.