रायपुर. कैसा महसूस हो जब खुद को पता चले की ब्रेन में ट्यूमर है और वो भी सेब के आकार का. कुछ ऐसी ही स्थितियां निर्मित हुईं, ठकुराइन टोला, कवर्धा निवासी 40 वर्षीय हेम कुमार महले के साथ. हेम कुमार को पिछले एक साल से हाथ और पैरों में झुनझुनी की तकलीफ थी. इस समस्या ने धीरे-धीरे आगामी 6 महीनों के भीतर अपना विकराल रूप ले लिया और फिर ये हुआ कि, उनका एक हाथ और एक पैर लगभग 70% सुन्न हो गए.

हालात यहां तक पहुंच गए कि उन्हें अपने हाथ-पैर उठाने, चलने-फिरने या सीढ़ियां उतरने-चढ़ने में बहुत ही ज्यादा दर्द रहने लगा. श्री नारायणा हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. रुपेश वर्मा ने उनके चेकअप के बाद पहले उन्हें एक महीने के कंजरवेटिव ट्रीटमेंट की सलाह दी.

एक महीने होने के बाद उसमें बहुत ज्यादा फायदा ना मिलता देख उनका एमआरआइ टेस्ट और सीटी स्कैन कराया गया. जिसमें उनके सिर में, हाथों और पैरों के मूवमेंट को कंट्रोल करने वाले एरिया में सेब के आकार का Meningioma यानी ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला.

अपंग हो सकता था मरीज

डॉक्टर रुपेश वर्मा के अनुसार इसकी सर्जरी बेहद ही क्रिटिकल थी. सर्जरी के बाद मरीज के हाथ और पैरों के परमानेंटली कमजोर हो जाने की प्रबल संभावना थी. या मरीज जिंदगी भर के लिए अपंग हो सकता था. लेकिन हेम कुमार महले ने डॉक्टर और ईश्वर पर अपनी विश्वसनीयता दर्शाते हुए, जो होगा देखा जाएगा के उद्देश्य से अपनी सर्जरी कराने की सहमति प्रदान की.

श्री नारायणा हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी में 15 सालों का अनुभव रखने वाले डॉ. रुपेश वर्मा ने एडवांस माइक्रोस्कोप की मदद से लगभग 4 घंटे की सफल सर्जरी द्वारा मरीज के ब्रेन से 400 ग्राम के ट्यूमर को अपने सधे हुए हाथों से बहुत ही सावधानी पूर्वक ऑपरेट करके इस तरह से निकाला, जिससे ब्रेन की अन्य नसों को कोई भी नुकसान ना पहुंचे.

सर्जरी के कुछ ही दिनों में हेमकुमार महले का जीवन पहले जैसा सुचारू रूप से चलने लगा और वे पूर्णरूपेण स्वस्थ हो गए. जिसके लिए उन्होंने श्री नारायणा हॉस्पिटल की पूरी न्यूरो सर्जरी टीम का आभार व्यक्त किया.

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