नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल(एनएमसी) को लेकर केन्द्र सरकार और आईएमए दोनों आमने सामने आ गए हैं. केन्द्र सरकार बिल को लेकर जहां सख्त रुख अख्तियार कर लिया है वहीं बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर आज हड़ताल पर चले गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों की मांग पर अलग-अलग स्तरों पर चर्चा कर सहमति बना ली गई थी. जिसके बाद ही सरकार बिल लेकर आई है. दावा किया जा रहा है कि इस बिल के आने के बाद देश में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रहे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएंगे साथ ही डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ेगी.
उधर इस मामले में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में इस मामले में जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कल बात की थी और अपना दृष्टिकोण रखा था.
इस बिल के विरोध में आईएमए के बंद पर देश भर के 3 लाख डॉक्टर हड़ताल में जा कर स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प रखी. जिसका असर छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में देखने को मिला. हालांकि इमरजेंसी सेवाएं जारी रहीं.
आईएमए ने कहा कि अगर यह बिल पास हुआ तो यह इतिहास का काला दिन होगा. इस बिल के लागू होने से इलाज भी महंगा होगा और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा. बिल के अनुसार प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 प्रतिशत सीटों की बजाय 60 प्रतिशत सीटों की फीस तय करने का अधिकार कॉलेज मैनेजमेंट के पास होगा. एमबीबीएस करने के बाद भी प्रेक्टिस के लिए एक और परीक्षा देने को अनिवार्य बनाना जैसे प्रवधान हैं. जिसका विरोध किया जा रहा है. बिल में एमसीआई की जगह एक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग बनाने का प्रावधान है.