नई दिल्ली  . राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के चिकित्सकों ने छाती और पेट के उपरी हिस्से से आपस में जुड़ी दो जुड़वां बहनों ऋिद्धि और सिद्धि को सकुशल अलग करने में सफलता हासिल की है. डॉक्टरों ने करीब नौ घंटे चली सर्जरी में दो ऐसी जुड़वां बहनों को अलग किया है जो जन्म से ही छाती और पेट से एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं. इन दोनों बच्चियों का लिवर, छाती की हड्डियां, फेफड़ों का डायफ्राम और यहां तक की दिल से जुड़ी कुछ झिल्लियां भी आपस में जुड़ी हुई थीं. ऐसे में छाती और पेट से चिपके दोनों बच्चों को अलग करने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने नौ घंटे की सर्जरी की. इसमें डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत करीब 64 लोगों की टीम ने काम किया.  

ये दोनों बच्चियां पिछले साल सात जुलाई को जन्मीं और दोनों पांच महीने तक गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रहीं. उन्हें आठ जून को नौ घंटे तक चली सर्जरी के बाद एक दूसरे से अलग किया गया. दोनों बच्चियों का पहला जन्मदिन अस्पताल में ही मनाया गया.

11 महीने की उम्र में किया गया ऑपरेशन

बाल चिकित्सा सर्जरी के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. प्रबुद्ध गोयल ने कहा, ‘यह विसंगति अजीब थी जहां पसलियां, यकृत, डायफ्रॉम आदि आपस में मिले हुए थे. दोनों ही हृदय एक दूसरे के बिल्कुल करीब थे यानी करीब-करीब स्पर्श कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इन बच्चियों का 11 महीने की उम्र में ऑपरेशन किया गया, जब वे सर्जरी की क्रिया को बर्दाश्त करने की स्थिति में पहुंच गयी थीं.

एम्स के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बरेली की जुड़वां बहनें- रिद्धि और सिद्धि एक-दूसरे के सामने छाती और पेट के ऊपरी हिस्से से जुड़ी हुई थीं. दोनों का लिवर और हृदय के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था. जुड़वां बहनों के बीच प्रमुख अंग साझा थे. इन अंगों में यकृत, हृदय को ढकने वाली परतें, पसली, डायाफ्राम और पेट की दीवार शामिल थीं. दोनों का लिवर और हृदय के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था. सर्जनों की कई टीमों ने बारी-बारी से सर्जरी को सटीक और कुशलता से पूरा किया.

बच्चियों को गंभीर देखभाल इकाई में रखा गया था. विभिन्न विभागों के इनपुट और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी देखभाल के कारण दोनों स्वस्थ होने में सक्षम हुई हैं. अब वे अस्पताल से छुट्टी के लिए तैयार हैं. बीते तीन वर्षों में प्रोफेसर मीनू बाजपेयी के नेतृत्व में एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित यह तीसरी बेहद मुश्किल सर्जरी थी. टीम ने पिछले तीन वर्षों में संयुक्त जुड़वां बच्चों के तीन जोड़ों को सफलतापूर्वक अलग किया है. जुड़वां बच्चों की पहली और दूसरी जोड़ी कूल्हे से जुड़ी थी. अब ये स्वस्थ हैं.

दुनिया में जन्म लेने वाले हर 50 हजार बच्चों में एक ऐसा मामला आता है, जिनमें बच्चे छाती और पेट से आपस में जुड़े होते हैं. वहीं, एक लाख में ऐसा एक मामला सामने आता है जिसमें बच्चे सिर से आपस में जुड़े हों. ऐसे बच्चों को लेकर उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. एम्स में यह सुविधा उपलब्ध है. ऐसे मरीजों को तुरंत यहां आना चाहिए.

डॉक्टरों का कहना है कि बरेली की रिद्धि और सिद्धि संयुक्त जुड़वां बहनें थीं. संयुक्त जुड़वां बच्चे वे बच्चे होते हैं जो जन्म से ही एक-दूसरे से शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं. संयुक्त जुड़वा बच्चों को अलग करना बेहद जोखिम भरा और चुनौतीपूर्ण होता है. ऐसे बच्चों को अलग करने के लिए बेहद जटिल सर्जरी की जरूरत होती है. ऐसी सर्जरी के लिए रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, नर्सिंग समेत विभिन्न विभागों का कोआर्डिनेशन और कार्यान्वयन चाहिए होता है.