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रोहित कश्यप, मुंगेली । धरती के भगवान का कमाल और मां के द्वारा बेटी को किया गया अंगदान ने उस बेटी के पैर को न सिर्फ काटने से बचाया, बल्कि उसे वापस दोनों पैरों पर खड़ा कर दिया. यह कमाल किसी प्राइवेट हॉस्पिटल या प्राइवेट डॉक्टरों ने लाखों रुपये खर्च कर नहीं, बल्कि मुंगेली के सरकारी जिला अस्पताल में वहां पदस्थ अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम ने कर दिखाया है.
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पहला केस
जिले के पथरिया टेंगनागढ़ निवासी, 5 वर्षीय पुनिया सोंधले पैर में चोट लगने के बाद आये सूजन और दर्द से परेशान थी. उसके माता पिता ने क़रीब के डॉक्टर से सलाह और इलाज चालू कराया. समय निकलते गया और पैर में मवाद भर गया, जिससे समय के साथ ये मवाद हड्डियों को भी गलाने लगा. परिजन बच्ची को प्राइवेट हॉस्पिटल बिलापसुर में ले गए, जहां उन्हें पैर काटने की सलाह दी गई, लेकिन परिजन इतने कम उम्र में बच्ची का पैर काटने से सहमत नहीं थे.
कई जगहों से लौटे निराश
कई जगहों से निराश होने पर, परिजन बच्ची को ज़िला अस्पताल मुंगेली लेकर आए. जहां पदस्थ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ श्रेयांश पारख से परामर्श किया. बच्ची की संपूर्ण जांच कर उन्होंने पैर को बचाने के लिए सढ़ चुकी हड्डी को निकाल कर पहले मवाद सफ़ाई कर उसमे बाहरी शिकंजा लगाने की सलाह दी.
परिजनों की सहमति से हुए पहले शल्य क्रिया के कुछ ही दिनों बाद बच्ची के पैर का सूजन और दर्द कम होने लगा, जिससे पुनिया और उनके माता पिता के चेहरे की मुस्कान लौटने लगी थी, लेकिन पैर की हड्डी का बड़ा हिस्सा निकल जाने के कारण, पुनिया अभी भी चलने में असमर्थ थी.
डॉ पारख ने बताया कि ऐसी स्थिति में आमतौर पर मरीज़ के दूसरे पैर की हड्डी का उपयोग किया जाता हैं, लेकिन बच्ची की छोटी उम्र के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था. बच्ची के माता-पिता से लंबी चर्चा और सहमति के बाद, डॉ पारख ने बच्ची को वापस चलाने के लिए बच्ची की मां के पैर से हड्डी निकाल कर बच्ची के पैर में लगाने की सलाह दी.
यह एक जटिल शल्य क्रिया है. इससे पहले राजधानी दिल्ली के एम्स अस्पताल में भी ऐसा ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया जा चुका है. 3 घंटे चलने वाली जटिल शल्य क्रिया के बाद पुनिया की मां के शरीर की हड्डी पुनिया के शरीर में सफलतापूर्वक लगा दी गई. ऑपरेशन के बाद पुनिया और उनकी मां दोनों ही स्वस्थ्य हैं. पुनिया के परिजनों ने शल्य क्रिया की टीम के साथ साथ सिविल सर्जन एवं संपूर्ण अस्पताल प्रबंधन का उत्कृष्ट सेवा के लिए आभार व्यक्त किया.
दूसरा केस
80 वर्षीय सिल्ली फ़ास्टरपुर निवासी अवध राम गेंदले एक वर्ष से बायें घुटने के दर्द से पीड़ित थे. कुछ समय तक गांव में इलाज कराके अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे. अंततः घुटने की स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पिछले 15 दोनों से उन्होंने चलना छोड़ दिया और पूरा समय बिस्तर में व्यतीत हो रहा था. तब परिजनों ने उन्हें ज़िला अस्पताल मुँगेली लाकर यहाँ के विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह ली.
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संपूर्ण जांच के बाद अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ श्रेयांश पारख ने उनके घुटने की स्थिति के बारे में अवगत कराया और कृत्रिम घुटना/ जोड़ प्रत्यारोपण (Knee Joint Replacement) की सलाह दी. प्रत्यारोपण शल्य क्रिया में पूर्णतः रूप से ख़राब हो चुके जोड़ जिसे दवा से ठीक नहीं किया जा सकता. उसे बदल कर नया कृत्रिम जोड़ लगाया जाता है. यह एक महंगा एवं जटिल विकल्प है, लेकिन इसके फ़ायदे अनेक हैं. अब अवध राम गेंदले का सफल और निःशुल्क जोड़ प्रत्यारोपण कर डॉ पारख एवं टीम ने उन्हें वापस अपने पैरों पर खड़ा किया.
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