पटना। एम्स में विधायक चेतन आनंद और डॉक्टरों के बीच विवाद के बाद जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार को चौथे दिन भी जारी रही। डॉक्टरों ने IPD और OPD सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी हैं। हड़ताल का असर मरीजों पर साफ दिख रहा है। अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज न मिलने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रविवार तक जहां 85 ऑपरेशन टाले गए थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 150 के पार पहुंच चुकी है।

सुरक्षा नहीं तो सेवा नहीं

सोमवार को डॉक्टरों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया। वे “वी वॉन्ट जस्टिस”, “वापस लो आवेदन वापस लो”, “सुरक्षा नहीं तो सेवा नहीं” और “विधायक माफी मांगो” जैसे नारे लगाते दिखे। एम्स के इस आंदोलन को अब पटना के अन्य प्रमुख अस्पतालों का भी समर्थन मिलने लगा है। PMCH और IGIMS के डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर काम करते हुए हड़ताल का समर्थन किया।

एफआईआर को वापस लें

डॉक्टरों की मुख्य मांग है कि विधायक चेतन आनंद अपने द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को वापस लें। डॉक्टरों का कहना है कि उन पर दबाव बनाया जा रहा है, जबकि वे चाहते हैं कि सिस्टम सुचारू रूप से चले। डॉक्टरों ने सवाल उठाया कि जब वे सेवा देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, तो जनप्रतिनिधि बात करने क्यों नहीं आ रहे?

क्या है विवाद?

30 जुलाई की रात करीब 11:30 बजे विधायक चेतन आनंद अपनी पत्नी के साथ पटना एम्स किसी परिचित को देखने पहुंचे थे। उनका आरोप है कि वहां उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें बंधक बनाकर रखा गया। दूसरी ओर एम्स के गार्ड और रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि विधायक के बॉडीगार्ड हथियार लेकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे, जिसे रोकने पर विवाद हुआ।

जान से मारने की धमकी

AIIMS गार्ड सोनू ने आरोप लगाया कि चेतन आनंद और उनके बॉडीगार्ड ने हथियार के साथ गुस्से में आकर गार्ड के साथ मारपीट की। रेजिडेंट डॉक्टरों का दावा है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और स्थिति को संभालने के लिए उन्होंने बीच-बचाव किया।

मरीज हो रहे परेशान

घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराया है। फिलहाल डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि जब तक विधायक एफआईआर वापस नहीं लेते, वे अपनी सेवा पर नहीं लौटेंगे।