रायपुर। सुपेबेड़ा के किडनी पीड़ितों की पड़ताल करने पहुंची चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में नाकाम रही. टीम के सदस्यों ने बीमारी को चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से नया नहीं माना, लेकिन इस संबंध में आगे भी अध्ययन और अध्यापन करने की आवश्यकता बताई है. 

सुपेबेड़ा में किडनी के मरीजों से 14 जनवरी को हुई मुलाकात व स्थानीय चिकित्सकों के सभी तरह के तथ्यों को खंगालने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों के दल ने यह माना कि यह समस्या केवल सुपेबेड़ा में नहीं राज्य के अन्य जगहों पर भी हो सकती है. इंटरनेशनल एसोसियेशन ऑफ नेफ्रोलाजी प्रेसिडेंट डॉ. विवेकानंद झा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अभी निष्कर्ष पर पहुंच पाना कठिन है. अध्ययन एवं अध्यापन जारी रखे जाने की आवश्यकता है. इंडियन एसोसियेशन ऑफ नेफ्रोलाजी के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. विजय खेर ने जागरूकता अभियान के लिए जोर लगाने की बात कही.

डॉ. विवेकानंद झा ने कहा कि बीमारी में चिकित्सा विज्ञान के हिसाब से कुछ नया नहीं है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पेन किलर एन्टीबायोटिक दवाइयों के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए जागरूकता अभियान आवश्यक है. पूरे देश में इस दिशा में काम भी चल रहा है. डॉ. विजय खेर ने जागरुकता अभियान के लिए जोर लगाने की सलाह दी. डॉ. खरे व डॉ. झा ने 14 जनवरी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हुई मुलाकात एवं उनकी सलाह को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया. मुख्यमंत्री बघेल ने सिविल सोसाइटी को जोड़कर अभियान को आगे बढ़ाने की बात कही है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सचिव निहारिका बारिक ने कहा कि ओडिशा बॉर्डर में स्थित सुपेबेड़ा में मिलने वाली प्रतिबंधित दवाइयां भी एक बड़ी समस्या है, जिसके लिए ओडिशा सरकार से संपर्क भी किया है. उन्होंने विशेषज्ञ चिकित्सकों से एक ड्रग लिस्ट भी मांगी, जिसे पीएचसी एवं सीएचसी स्तर पर उपलब्ध कराने की बात कही. उन्होंने कहा कि किडनी के चलने वाले लंबे उपचार के लिए राज्य प्रतिबद्ध है. सुपेबेड़ा में डॉक्टरों की कमी को दूर करने में निजी चिकित्सकों की मदद मिल रही है, और आगे भी यह मदद मिलते रहने की अपेक्षा है.

कार्यशाला में डॉ. प्रभास चौधरी, डॉ. संजीव काले. डॉ. विनय राठौर एम्स, डॉ. अभिरूचि कम्युनिटी मेडिसीन मेकाहारा, डॉ. प्रवण चौधरी नेफ्रोलाजिस्ट, डॉ. आरके साहू, नेफ्रोलॉजिस्ट डीकेएस हॉस्पिटल, डॉ. सुनील धर्मानी नेफ्रोलॉजी, डॉ. सुमित चौधरी नेफ्रोलॉजिस्ट, डॉ. साईनाथ पत्तेवार नेफ्रोलॉजी, डॉ. सुभा दुबे नेफ्रोलॉजी ने पूरी परिस्थितियों पर अपना-अपना पक्ष रखा. चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉ. निर्मल वर्मा के साथ भू-गर्भीय शास्त्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के वैज्ञानिक भी मौजूद रहे. भू-गर्भीय शास्त्री डॉ. निनाद बोधनकर ने सुपेबेड़ा की भूगर्भीय परिस्थितियों पर अपना पक्ष रखा.