हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इसे डोल ग्यारस और जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है. इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 सितंबर को रखा. डोल ग्यारस पर शहर में अलग-अलग स्थानों पर शाम के समय 4 बजे से चल समारोह निकलेंगे. नगर के विभिन्ना मोहल्लों से अपने-अपने विमान लेकर श्रद्धालु अलग-अलग चल समारोह में बड़ी शामिल होंगे.
इस तिथि पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप बाल-गोपाल को एक डोल में विराजित कर शोभा यात्रा निकाली जाती है. इसलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है. कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था. इसी दिन को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …
पुराणों के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान करवट बदलते हैं और इस समय वे प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. मान्यता है कि इस अवधि को दौरान भक्ति और श्रद्धा के साथ जो कुछ भी मांगा जाता है वे अपने भक्तों को अवश्य प्रदान करते हैं. इस एकादशी की पूजा और व्रत विशेष फलदायी मानी गई है. Read More – Ganesh Chaturthi Recipe : बप्पा को लगाएं चॉकलेट मोदक का भोग, बप्पा हो जाएंगे खुश …
आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण माता यशोदा और नंद बाबा के साथ नगर भ्रमण पर निकले थे. यही कारण है कि आज कान्हा को नए वस्त्र पहनकर पालकी में बैठ कर यात्रा निकाली जाती है. इस दिन भगवान कृष्ण के दर्शन करने के बाद उनकी पालकी के नीचे से निकलने की भी परंपरा है. ऐसा माना जाता है जो कासन से ग्रस्त होता है पालकी के नीचे से निकलने से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक