Donald Trump On Reciprocal Tariff: PM नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा खत्म हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इससे पहले PM मोदी शुक्रवार देर रात 3 बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने व्हाइट हाउस पहुंचे। दोनों नेता करीब ढाई घंटे तक साथ रहे। इस दौरान दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई। ट्रम्प ने टैरिफ मामले पर मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें एक टफ नेगोशिएटर (मोलभाव करने वाला) बताया।
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वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने PM मोदी से मुलाकात से चंद घंटे पहले भारत समेत सभी व्यापार भागीदार देशों पर टैरिफ लगाने के प्लान पर साइन कर दिए। इससे दुनियाभर आर्थिक तनाव पैदा होने की संभावना जताई जा रही है। ट्रंप ने कहा, ‘व्यापार के मामले में, मैंने निष्पक्षता के साथ यह फैसला लिया है कि हम पारस्परिक टैरिफ या कहें रेसिप्रोकल टैरिफ (reciprocal tariffs) लागू करेंगे, जिसका मतलब है कि जो भी देश अमेरिका से शुल्क वसूलते हैं, हम भी उन पर शुल्क लगाएंगे- न ज्यादा, न कम।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक दिन पहले रिसीप्रोकल टैरिफ की फाइल पर साइन कर दिये. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि किसी भी देश की तरफ से अमेरिकी प्रोडक्ट पर जितना टैरिफ लगाया जाएगा, उतना ही टैक्स अमेरिका भी उस देश के प्रोडक्ट पर लगाएगा। खुद ट्रंप और उनके अधिकारियों की तरफ से भारत को पिछले दिनों ‘टैरिफ किंग’ कहा गया था।
ट्रंप ने कहा, ‘वो हमसे टैक्स और टैरिफ वसूलते हैं, हम भी उन पर समान टैक्स और टैरिफ लगाएंगे।’ विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इस दौरान ट्रंप ने भारत को ज्यादा टैरिफ लेने वाला देश बताया और किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार किया. हालांकि, टैरिफ को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि इसका मकसद देशों को नए ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत का समय देना है, लेकिन ट्रंप की तरफ से किये गए इस ऐलान का भारत पर क्या असर होगा, आइए हर पहलू को विस्तार से समझते हैं-
क्या होता है रेसिप्रोकल टैरिफ?
टैरिफ उन करों (Taxes) को कहा जाता है, जो किसी देश द्वारा दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर लगाए जाते हैं। यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर कहा था, ‘जैसे को तैसा, एक टैरिफ के बदले दूसरा टैरिफ, वही सटीक अमाउंट। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जब एक देश किसी दूसरे देश से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगाता है, तो दूसरा देश भी उसी अनुपात में उस देश के उत्पादों पर टैरिफ लगा देता है। इसे सरल भाषा में ‘जैसे को तैसा’ नीति कहा जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश से आने वाले सामान पर 10 प्रतिशत का ही टैरिफ लगाएगा।
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किन देशों पर पड़ेगा असर?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल इकोनॉमिस्ट का मानना है कि ट्रंप की तरफ से लिये गए इस फैसले से भारत और थाईलैंड जैसे देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। मॉर्गन स्टेनली और नोमुरा होल्डिंग्स इंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाओं की तरफ से कहा गया कि भारत और थाईलैंड की तरफ से अमेरिकी प्रोडक्ट पर लगाए गए टैरिफ अमेरिका के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। भारत की तरफ से अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाए जाने पर ट्रंप पहले भी भारत को ‘टैरिफ किंग’ कह चुके हैं। आपको बता दें भारत अमेरिका के मुकाबले औसतन 10% ज्यादा टैरिफ लगाता है।
भारत पर क्या होगा असर?
ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर भारत पर भी देखने को मिलेगा। इसका सामना करना भारत की घरेलू इंडस्ट्री के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा। भारत उन देशों में से है, जहां टैरिफ की दरें काफी ज्यादा हैं और इसलिए वह रिसिप्रोकल टैरिफ को लेकर काफी संवेदनशील है। अमेरिका की नई टैक्स नीति का असर भारत के ऑटोमोबाइल, कपड़ा और अन्य उद्योगों पर पड़ सकता है। अगर भारत टैरिफ की दरों में कटौती करता है तो इसका सीधे तौर पर असर उसके राजस्व पर पड़ सकता है जो भारत की घरेलू इंडस्ट्री के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी।
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