Donald Trump C5-Forum: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ मिलकर नया सुपर क्लब ‘C-5 फोरम’ बनाने पर काम कर रहे हैं। इस फोरम को ‘C5’ या ‘कोर फाइव’ फोरम नाम दिया जा सकता है। इस सुपर क्लब में अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान शामिल होंगे। यह बिलकुल G7 जैसा होगा। हालांकि आबादी-ताकत के आधार पर यह ग्रुप होगा। फिलहाल ट्रंप इस पर काम कर रहे हैं। इसमें लोकतंत्र की शर्त नहीं, सिर्फ बड़ी शक्तियां होंगी। पहला मुद्दा होगा इजरायल-सऊदी अरब समझौता कराना होगा। ट्रंप की इस योजना ने यूरोप और NATO को चिंता में डूबो दिया है।

पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी (NSS) का 33 पेज का पब्लिक वर्जन जारी किया। हालांकि पोलिटिको और डिफेंस वन जैसी अमेरिकी मैगजीन के मुताबिक, एक लंबा, अनपब्लिश्ड वर्जन है जिसमें C5 का जिक्र है। यह ग्रुप अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान – ये पांच देश जिनकी आबादी 100 मिलियन से ज्यादा है – को मिलाएगा।

ट्रंप का कहना है कि दुनिया मल्टीपोलर हो गई है। यानी कई ताकतवर देश हैं तो G7 जैसे पुराने ग्रुप पर्याप्त नहीं। C5 से बड़े देशों के बीच डील-मेकिंग आसान होगी, बिना लोकतंत्र या अमीरी के बंधन के। ट्रंप ने गर्मियों में ही कहा था कि रूस को G8 (पुराना G7) से निकालना बड़ी गलती थी। उन्होंने चीन को जोड़कर G9 बनाने का सुझाव भी दिया था। NSS का यह अनपब्लिश्ड वर्जन इसी सोच को आगे बढ़ाता है। दुनिया को ‘स्फीयर्स ऑफ इन्फ्लुएंस’ (प्रभाव क्षेत्र) में बांटना, जहां हर बड़ा देश अपना इलाका संभाले।

व्हाइट हाउस की सफाई: कोई सीक्रेट प्लान नहीं

व्हाइट हाउस ने इसे सीक्रेट प्लान से साफ इनकार किया है। प्रेस सेक्रेटरी हन्ना केली ने कहा कि 33 पेज के ऑफिशियल प्लान का कोई अल्टरनेटिव, प्राइवेट या सीक्रेट वर्जन नहीं है। लेकिन पूर्व ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के एक ऑफिशियल ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि C5 या C7 पर बात हुई, लेकिन G7 और UN सिक्योरिटी काउंसिल जैसे पुराने सिस्टम नए प्लेयर्स के लिए फिट नहीं।

G7 और NATO को खतरा

ट्रंप की इस योजना से अमेरिकी सहयोगी (नाटो और यूरोपिय देश) परेशान हैं। इन देशों को डर है कि यह मूव रूस को यूरोप पर प्रभाव बढ़ाने का लाइसेंस दे सकता है, वेस्टर्न यूनिटी और NATO को कमजोर कर सकता है। यूरोपियन डिफेंस ऑफिशियल ने इसे “यूरोपियन यूनिटी को कमजोर करने” वाला बताया। G7 और G20 को अपर्याप्त मानते हुए C5 मल्टीपोलर दुनिया के लिए डिजाइन है, जहां पॉपुलेशन और मिलिट्री-इकोनॉमिक पावर मायने रखती है। लेकिन BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका) जैसे ग्रुप्स पहले से हैं – C5 इससे कैसे अलग होगा? 

दुनिया का बगल जाएगा नया नक्शा

अभी C5 सिर्फ पेपर पर है, लेकिन अगर बना तो ग्लोबल ऑर्डर बदल जाएगा। G7 की जगह स्ट्रॉन्गमेन क्लब. ट्रंप का ‘कॉमर्शियल डिप्लोमेसी’ (व्यापार-आधारित कूटनीति) यूरोप को ‘मेक यूरोप ग्रेट अगेन’ कहकर पीछे धकेलेगा। क्या यह ‘ट्रंपियन’ ड्रीम सच होगा? वक्त बताएगा, लेकिन वॉशिंगटन में बहस गरम है. भारत जैसे उभरते देशों के लिए यह मौका है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं।

ट्रंप की विदेश नीति में बड़ा शिफ्ट होगा

अभी तक C-5 पर कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं है। हालांकि यह ट्रंप की विदेश नीति में बड़ा शिफ्ट दिखाता है, जहां चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों को टेबल पर लाया जा सकता है। भारत के लिए यह मिडिल ईस्ट और इंडो-पैसिफिक मुद्दों पर नया मौका हो सकता है। अमेरिकी एलाइज इसे ‘स्ट्रॉन्गमेन’ को वैधता देने वाला मानते हैं। रूस को यूरोप पर प्राथमिकता देकर वेस्टर्न यूनिटी और NATO को कमजोर कर सकता है।

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