रूपेश गुप्ता-
एक सनकी, पागल अमेरिका का राष्ट्रपति है। ऐसा आदमी दुनिया के सबसे समृद्ध और ताकतवर देश का राष्ट्रपति बन कैसे गया ? साल 2016 में हुए चुनाव में ट्रम्प हिलेरी क्लिंटन से बेहद कठिन मुकाबले में चुनाव जीत गया। लेकिन जीता कैसे ?
इसका कारण उससे पहले हुए डेमोक्रेटक प्राइमरी चुनाव में हैं। जब घोर कॉर्पोरेट परस्त हिलेरी और कम्युनिस्ट से सोशलिस्ट बने बर्नी सैंडर्स के बीच राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए मुकाबला हुआ.
सैंडर्स लोकोन्मुखी एजेंडे मसलन, फ्री स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ घोर कॉर्पोरेट विरोधी एजेंडे के साथ थे, मसलन – मोनसेंटो और वालमार्ट का आकार देश की सुरक्षा के लिए खतरा है वे राष्ट्रपति बने तो कई टुकड़ों में तोड़ देंगे, गन लॉबी और डीज़ल और पेट्रोल लॉबी को खत्म करेंगे.
इन एजेंडों ने पूरे कॉर्पोरेट जगत को हिलेरी के साथ खड़ा कर दिया। जैसे 2014 में भारत में मोदी के पीछे खड़ा हओ गया था। लेकिन सैंडर्स की लोकप्रयिता बढ़ती जा रही थी। युवा उनके दीवाने थे। उनके पीछे पागल थे। जितनी सभी उम्मीदवारों के लिए मिलाकर क्राउड फंडिंग होती थी, उससे ज़्यादा बर्नी फन्ड रेज कर लेते थे। बर्नी को भीड़ देखकर जब सवाल पूछे जाते तो हिलेरी कहती थीं कि उनके साथ भीड़ है, मेरे साथ वोट है। हालांकि भीड़ जिसके साथ है वोट उसके खिलाफ कैसे हो सकता है, ये भी बड़ा दिलचस्प सवाल है। शुरुआती जीत के बाद हिलेरी की बढ़त राज्य- दर- राज्य कम होती जा रही थी। ये साम्राज्यवाद की जड़ो में कम्युनिस्ट का उदय था, जो उन ताकतों के लिए विनाशकारी साबित होता.
इसलिए उन हालातों में कॉर्पोरेट ने अपना सबसे पुराना खेल खेला। छल और कपट का खेल। डेमोक्रेट प्रेजिडेंट वाशरमैन को मिला लिया। सबसे महत्वपूर्ण न्यूयार्क में चुनाव हुए और बर्नी के युवा समर्थक वोटरों को वोट देने से रोक दिया गया। ये परिपाटी बाकी की राज्यों में भी अपनाई गई। और गेम बदल गया। हिलेरी उम्मीदवार बन गयी.
लेकिन इस बेईमानी से खार खाये युवा, सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट हिलेरी के खिलाफ खुलकर आ गए। इधर नस्लवादी ट्रम्प बिना कॉर्पोरेट फंडिंग के चुनाव लड़ रहे थे। इसलिए सैंडर्स से हुई धूर्तता से नाराज़ सभी कम्युनिस्ट ट्रम्प के साथ खड़े हो गए। ट्रम्प को और मज़बूत करने का काम चुनाव से ठीक पहले विकीलीक्स ने किया। विकीलीक्स ने वाशरमैन की धूर्तता के सबूत जारी करने शुरू कर दिए। बाद में उन्हें पद से हटाया भी गया.
हिलेरी के लोगों में आरोप लगाये कि इस खुलासे के पीछे रूस है। लेकिन ये खुलासे इतने बड़े थे कि हिलेरी खेमे की ये दलील काम न आई। हिलेरी के खिलाफ कम्युनिस्टों और प्रगतिशीलों के ज़बरदस्त गुस्से ने ट्रम्प जैसे सनकी, पागल और नस्लवादी को राष्ट्रपति बना दिया.
वामपंथी गुस्से में क्या कर गए ये अब भी समझ नहीं आया तो बंगाल चले आइये। 2019 के लोकसभा चुनाव में और सम्भवतः इस चुनाव में भी वामपंथी भाजपा के पीछे ममता के खिलाफ आक्रोशित होकर खड़े दिखेंगे.