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रायपुर. आज जल यात्रा है साथ ही विल्वत्रिरात्र व्रत है तो कबीर जयंती भी है. कहा जाता है ज्येष्ठ मास का सूर्य बहुत तपता है. इस मास में पूर्णिमा के दिन पुण्य कमाने के लिए जल का दान करना चाहिए. हमारे बुजूर्ग कुंआ, बावली इत्यादि खुदवाया करते है. उनके मार्ग पर चलकर हमें भी कुछ इस गर्मी में कमाना चाहिए.
कहा जाता है कि मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद करना और बिना किसी स्वार्थ के किसे के काम आना सबसे बड़ा पुण्य का काम है. बिना किसी प्रकार का प्रतिकार चाहें और बिना अपेक्षा के किसी के लिए कुछ अच्छा करना ही जीवन में सुख का मूल है. यह उपकार करना सभी के बस की बात नहीं होती किंतु ऐसा सुख चाहने वाले लोगों की कमी भी इस संसार में नहीं है. ऐसे लोगो को खोजना जरूर बहुत आसान नहीं होता है पर ऐसा बनना बहुत आसान है.
किसी को सुखी करके ना सिर्फ सुख पाया जा सकता है बल्कि ऐसा करने से कुंडली के ग्रह दोषों को दूर किया जाना भी संभव है, जैसे कि राजा शिवि ने कबूतर की प्राण रक्षा हेतु अपने शरीर का मांस और दधीचि ऋषि ने अपनी हड्ड़िया दान दी थी. आपके नित्यचर्या में सहजता के साथ करने से ग्रहीय दोषों का समाधान दे सकता है. वह सहज समाधान भूखे को दो रोटी देकर या गरीब जरूरतमंद को दवाईया या आहार देकर भी किया जा सकता है. ये उपाय ग्रह से संबंधित दोषों की निवृत्ति करने में कारगर उपाय बन सकती है. सचमुच जिस व्यक्ति को जिस चीज की आवश्यकता हो, उसे वह उपलब्ध कराकर भी सेवा का सुख का पाया जा सकता है.
इस समय गर्मी से बेहाल लोग हैं और वर्तमान समय में पुरे देश में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है तो अगर आप जल का दान करें तो देश सेवा के साथ ही पर्मार्थ हो होगा ही आपकी कुंडली में चंद्र राहु का दोष भी दूर हो सकता है. क्योंकि यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा खराब होकर गोचर में भ्रमण करें तो उसे जरूर ही जल का दान करना चाहिए. इस प्रकार सहजता से की गई सेवा द्वारा किसी को प्रसन्न कर ग्रहीय दोषों को दूर करना संभव है.