रायपुर. राजधानी रायपुर के जैनम भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठे दिन आज भगवताचार्य रमेश ओझा ने श्रीकृष्ण के जीवन के एक प्रसंग से कर्म और प्रकृति के महत्व को समझाया. उन्होंने कथा में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण के चरित्र में ऐसा जादू है कि वे व्यक्ति को शांति और समाज को क्रांति प्रदान करने में समर्थ है.
कृष्ण अंध परम्परावादी भी नहीं है और न ही परंपरा को भंग करने वाले है. इसी से श्री कृष्ण लोगो में आस्था स्थापित करते हैं. उन्होंने कहा, कर्म से ही सब कुछ है. किस्मत के भरोसे न बैठें. आगे बढ़ना है तो खूब मेहनत करें.
कथावाचक रमेश ओझा ने श्री कृष्ण के जीवन के उस संदर्भ से समझाया जब वे सात वर्ष के थे और उन्होंने ब्रज में भगवान इन्द्र के यज्ञ से पहले अपने सवालों से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया और किस प्रकार बरसों से चला आ रहा था इंद्र का यज्ञ अस भंग कराया. उसके स्थान पर वसियों को यज्ञ करना है तो गोवर्धन का करने प्रेरित किया. कथावाचक ओझा ने बताया, जब ब्रजवासी इंद्र की यज्ञ की तैयारी करने लगे तो नंदबाबा से कन्हैया ने पूछा कि ये क्या हो रहा है. तब नंदबाबा ने बताया कि इंद्र की यज्ञ की तैयारी चल रही है. हम यज्ञ करते हैं तो इंद्र वर्षा करते हैं, उससे अन्न पैदा होती है और हम जीवित रहते हैं.
सात वर्ष के कन्हैया ने कहा कि आप इतने सालों से यज्ञ करते आये हैं, क्या आपमें से किसी ने इंद्र को देखा है ? तब नंदबाबा ने कहा नहीं लाला, वो तो असमान में रहते हैं. हम यज्ञ करते हैं. तब कन्हैया ने कहा कि जिस देव को देखा नहीं उस देव की आराधना करते हो. गोवर्धन हमें फल फूल देते हैं, ये प्रत्यक्ष देव हैं. वास्तव में जिससे हमारा जीवन चलता है उस पर ध्यान नहीं देते. इस कहानी के ज़रिये आज भगवताचार्य रमेश ओझा ने समझाया कि केवल देववादी बनकर जीना, भाग्य पर भरोसा करके चलना, पूजा पाठ करके उस पर भरोसा करना ठीक नहीं है. कर्म से ही सब कुछ है. इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर भी ज़ोर दिया और कहा कि प्रकृति की पूजा ही पर्यावरण की सुरक्षा है. हमारी संस्कृति में पर्वतों, नदी की पूजा करना सिखाया है.
पर्यावरण माता है, अकारण वृषकों को काटने को पाप की श्रेणी में शास्त्रों में रखा गया है.
भागवत कथा सुनने के लिए किसने क्या कहा…
मिरानी ग्रुप की सदस्य प्रगति तुषार मिरानी ने बताया कि आज कृष्ण रुखमणी विवाह है. कल सप्ताह का अंतिम दिन है. सभी क्षेत्रों से लोग देखने सुनने आ रहे हैं. भगवताचार्य रमेश ओझा हमारे जीवन से जुड़े उदाहरण देकर हमें बेहतर जीने की सीख दे रहे हैं. आंटे का उदाहरण देकर उन्होंने संगठन की मज़बूती को हमें समझाया कि कैसे आंटे में पानी, घी मिलाने के बाद जब तवा में डाला जाता है तो वह स्वादिष्ट बनती है, लेकिन सिर्फ़ आटे को तवे में डाल दिया जाए तो वो व्यर्थ हो जाता है. इसी प्रकार संबंध परिवार समाज होते हैं, जिन्हें प्रेम और सद्भाव से ही संगठित और एकजुट रखा जा सकता है.
मिरानी परिवार की सदस्य दीप्ति मिरानी ने कहा, क़िस्मत के भरोसे बैठना नहीं चाहिए, मेहनत के बिना भाग्य साथ नहीं देता. मेहनत करेंगे तो जीवन में आगे बढ़ेंगे. चिराग मिरनी ने कहा कि कथा ये सिखाती है कि घर परिवार के साथ कैसे रहना चाहिए, समाज कितना महत्वपूर्ण है. घर परिवार और समाज में मिल जुलकर कैसे रहे.
विधायक पुरंदर मिश्रा और पूर्व विधायक जुनेजा ने मिरानी परिवार का जताया आभार
विधायक पुरंदर मिश्रा ने कहा कि मिरानी परिवार का आभार, जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए रमेश भाइयों को कथा के लिए आमंत्रित कर लाया है और धर्म संस्कृति के साथ रायपुर को जोड़ने का प्रयास किया है. इस भागीरथी परिवार का अभिनंदन करते हैं. पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने कहा कि सौभाग्य है कि देश के प्रसिद्ध कथाकार के चरण हमारी शहर में पड़े, जिसका श्रेय पूरा मिरानी परिवार को जाता है. शहर में धार्मिक माहौल बना हुआ है. कथा सुनकर लोग सीख रहे हैं और आशीर्वाद ले रहे हैं. कथाकारों को सुनने से जीवन में बेहद बदलाव होता है.
अंतिम दिन कथा का लाभ लेने प्रदेशवासियों को किया आमंत्रित
बता दें कि छत्तीसगढ़ में मिरानी ग्रुप द्वारा आयोजित भव्य एवं दिव्य श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठे दिन आज श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह हुआ. सभी भक्तों ने श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह के दर्शन किए और भगवताचार्य रमेश ओझा की वाणी से श्री कृष्ण के जीवन की कहानियों को सुना. कथा का 8 दिसंबर को अंतिम दिन है. मिरानी परिवार ने श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ सप्ताह के अंतिम दिन प्रदेश वसियों को आमंत्रित किया है. कथा में मिरानी परिवार के सभी सदस्य, news 24 मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और लल्लूराम डॉट कॉम के चेयरमैन नामित जैन, रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक अजय चंद्राकर, पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा समेत बड़ी संख्या में देश और प्रदेश से साधु संत शामिल हुए.
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