रुद्रप्रयाग. द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट मंगलवार को मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी स्वाति नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद हो गए. इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु, बीकेटीसी कर्मचारी-अधिकारी, विभिन्न विभागों और प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें- कूटरचित दस्तावेजों की आड़ में उत्तराखंड में बाहरी लोगों को बसाने का चल रहा खेल, सीएम धामी ने दिए ये निर्देश

बता दें कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर खुला. पूजा-अर्चना अर्चना के बाद कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसके बाद पुजारी ने बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी-कार्यपालक मजिस्ट्रेट विजय प्रसाद थपलियाल, बीकेटीसी सदस्य प्रह्लाद पुष्पवान और पंच गौंडारी हकहकूकधारियों की उपस्थिति में मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया और स्थानीय पुष्पों और राख से ढंका. इसके बाद मंदिर के कपाट मद्महेश्वर जी के जय घोष के साथ बंद कर दिए गए.

इसे भी पढ़ें- ‘बारहमासी पर्यटन की तैयारियों को तेज करें…’, CM धामी ने शीतकालीन यात्रा के लिए दिए कड़े निर्देश, कहा- पर्यटकों के लिए विशेष छूट पैकेज बनाएं

कपाट बंद होने के बाद श्री मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली ने अपने भंडार का निरीक्षण किया. इसके बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए ढोल-दमाऊं के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर दिया. बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार-19 नवंबर बुधवार को भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी और 20 नवंबर गुरुवार को गिरिया प्रवास करेगी. 21 नवंबर शुक्रवार को चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी. मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली के स्वागत के लिए ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में तैयारियां शुरू हो गई हैं. 20 नवंबर से तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेला भी शुरू हो रहा है. बीकेटीसी के सीईओ ने बताया कि द्वितीय केदार मद्महेश्वर में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच इस यात्रा वर्ष में 22 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.