रायपुर. शरीर की महाधमनी की अजीबो-गरीब बीमारी टकायासु आर्टेराइटिस से ठीक होने की आस छोड़ चुके बूढ़ी पथराई आंखों में शुक्रवार की सुबह उस वक्त खुशी के आंसू छलक उठे जब एसीआई में कैथलैब से बाहर आकर डॉक्टरों ने कहा- बधाई हो, आपकी पोती का उपचार सफल रहा.

जगदलपुर निवासी 74 वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति जो अपनी 23 वर्षीय पोती के महाधमनी की बीमारी से कई दिनों से परेशान थे, उसका सही एवं सफल उपचार डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में हुआ. कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए टकायासु आर्टेराइटिस (धमनीशोथ) का इलाज बैलून एंजियोग्राफी की मदद से किया गया.

कार्डियोलॉजी विभाग में टकायासु आर्टेराइटिस का यह पहला केस था. इस प्रक्रिया में एक कैथेटर को रक्त वाहिका में डाला गया जिसकी नोंक पर एक पिचका हुआ गुब्बारा लगा हुआ था. जहां-जहां धमनी संकुचित थी वहां गुब्बारे को जरूरत के अनुसार फुलाया गया जिससे धमनी को खोलने में मदद मिली. इस पूरी प्रक्रिया को बैलून डिलेटेशन ऑफ कोरोनरी एओर्टा कहते हैं.

कार्डियोलॉजिस्ट एवं विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव दुर्लभ बीमारी टकायासु आर्टेराइटिस के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताते हैं, इस बीमारी का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है. इसलिए इसे नॉनस्पेसिफिक एओर्टोआर्टेराइटिस कहा जाता है. इस बीमारी में हाथ की नसों में कई बार धड़कन नहीं मिलती इसलिए इसे पल्सलेस डिजीज भी कहा जाता है. टकायासु आर्टेराइटिस का समय पर उपचार न होने से हार्ट फेलियर होने की संभावना रहती है.

डॉ. स्मित के अनुसार, यह एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें रक्त वाहिकायें (नसें) सूज जाती हैं. सूजने के बाद सिकुड़ने लगती हैं. रक्त वाहिकाओं का सूजन (वैस्कुलाइटिस) महाधमनी को नुकसान पहुंचाती है. महाधमनी शरीर की सबसे बड़ी धमनी है जो हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों और इसकी अन्य शाखाओं तक रक्त का परिवहन करती है.  बैलून एंजियोग्राफी की मदद से इसका इलाज नहीं होता तो दिल की मांसपेशियों तक खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों के संकुचन को ठीक करने के लिए कोरोनरी आर्टेरी बाईपास की आवश्यकता हो सकती थी, लेकिन पूरी टीम की मदद से सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक हमने सिकुड़ी हुई नसों को एक-एक करके खोलने में सफलता प्राप्त की और मरीज की जान बच गई. बैकअप प्लान के तौर पर हमने स्टंट और कार्डियक सर्जरी की तैयारी की थी लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी.

टकायासु या ताकायासु धमनीशोथ का पहला मामला 1908 में जापानी नेत्र रोग विशेषज्ञ मिकिटो ताकायासु द्वारा जापान नेत्र विज्ञान सोसायटी की वार्षिक बैठक में वर्णित किया गया था. उन्हीं के नाम पर इस बीमारी का नामकरण किया गया.

ऐसे हुआ कार्डियक प्रोसीजर
डॉ. स्मित श्रीवास्तव प्रोसीजर के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताते हैं कि मरीज जब अस्पताल में भर्ती हुई तब ब्लड प्रेशर में काफी अंतर था. शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से के ब्लड प्रेशर में 100 का अंतर था. बैलून प्रक्रिया के बाद यह अंतर घटकर 40 तक पहुंच गया. बैलून डिलेटेशन के लिए सबसे पहले पैर के नसों के रास्ते सिकुड़ी हुई नसों तक पहुंचे.

किडनी से छाती के बीच नसें बहुत ज्यादा बंद थी और महाधमनी में छाती के पास प्रेशर ड्राप हो रहा था. वहां आर्टरी 3 मिलीमीटर के करीब थी उसको 70 मिलीमीटर वाले बैलून से खोला. एक अन्य स्थान पर 90 प्रतिशत ब्लाकेज था उसको 70 डायामीटर वाले बैलून से गुर्दे (किडनी) की नस तक खोला. उसके बाद किडनी की नस के लेवर पर जो प्रेशर 85/60 था वह बढ़कर 140/70 हो गया.

इस पूरे प्रक्रिया में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ डॉ. जोगेश विशनदासानी, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. तान्या छौड़ा, डॉ. अंकिता बोधनकर, डॉ. वेदव्यास चौधरी, कैथलैब टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा, खेमसिंह मांडे, नवीन ठाकुर तथा नर्सिंग स्टॉफ बुधेश्वर शामिल रहे। मरीज का इलाज आयुष्मान योजनांतर्गत हुआ.

जीत गया दादा-दादी का प्रेम
मरीज का इलाज उनके बुजुर्ग दादा-दादी ने अपने संरक्षण में कराया. मरीज के दादाजी 74 वर्षीय शंकरलाल के अनुसार, पोती से प्रेम की पराकाष्ठा ही थी कि 4 अक्टूबर को पोती के शरीर के बायें हिस्से में तेज दर्द होने पर जगदलपुर में डॉक्टर के पास लेकर गये जहां से उसे विशाखापट्टनम के लिए रेफर कर दिया गया. वहां जांच में पता चला कि रक्त वाहिकायें सूख रहीं हैं और सूख कर बारीक हो रही हैं.

डॉक्टरों ने दवाइयां शुरू की और फिर वापस जगदलपुर लौट आये. इसके बाद वापस 21 अक्टूबर को फिर से तेज दर्द उठा और मरीज को हम लोग (दादा-दादी) रायपुर लेकर आये. यहां एसीआई में मरीज को भर्ती किया गया. सभी प्रकार की जांच हुई. दुर्लभ एवं जटिल बीमारी के कारण दादी कैथलैब की प्रक्रिया से थोड़ी घबराई हुई थी. उनको डर था कि यह सफल रहेगा या नहीं. हमारे प्रेम के आगे बीमारी हार गई और हमारी पोती ठीक हो गई.

टकायासु आर्टेराइटिस के संकेत और लक्षण
इस बीमारी के संकेत में अक्सर अत्यधिक थकान लगना, अचानक से वजन कम होना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द रहना, विशेषकर रात में पसीने के साथ हल्का बुखार तथा धमनियों में सूजन के कारण हाथ-पैर में कमजोरी व दर्द, चक्कर और बेहोशी, उच्च रक्तचाप, एनीमिया और सीने में दर्द की समस्या होती है.

जटिलताएं
इस बीमारी की जटिलताओं में रक्त वाहिकाओं का सख्त और संकुचित होना, उच्च रक्तचाप, हृदय की सूजन, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक, टांसिएंट इस्केमिक अटैक(टीआईए), एन्यूरिज्म, हार्ट अटैक जैसी जटिलताएं शामिल हैं.

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