रायपुर। विधानसभा अध्य्क्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेशवासियों को भगवान परशुराम जयंती और अक्ती पर्व(अक्षय तृतीया) की बधाई दी. उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ में रामकथा, महाभारत, भर्तृहरि गाथा, लोरिक चंदा की कहानियाँ छत्तीसगढ़ी कथा में, गायन में पीढ़ी दर पीढ़ी समृद्ध होती रही है. छत्तीसगढ़ियों के जन-मन और कण-कण में यहाँ की सांस्कृतिक वैभव की छाप है.

छत्तीसगढ़ दुनिया भर की श्रेष्ठ परंपराओं को अपने ही ढंग से ग्रहण करने वाला प्रदेश है. भाषा, व्यवहार, आचरण और परंपरा का छत्तीसगढ़ी अंदाज हमेशा ज्ञानी-ध्यानियों को आकर्षित करते रहा है. ऐसे छत्तीसगढ़ में अक्ती पर्व की बड़ी विशेषता है. अक्ती पर्व दान का भी पर्व है. दान के इस पर्व में गाँवों में विशेष तौर पर शीतल पेयजल प्रदाय की परंपरा रही है. यही वजह लोग अपने गुरुओं के घर, शीतला माता में, पुरोहितों के घर, ब्राम्हणों के घर पूरे माह भर तक शीतल जल मटकी के साथ प्रदान करते हैं. अक्ती पर्व को प्रदेश में पुतरा-पुतरी बिहाव के तौर भी मनाया जाता है. गाँव-गाँव इसे एक सांस्कृतिक उत्सव के तौर मनाया जाता है. छत्तीशगढ़ प्रदेश में अक्षय तृतीया का अपना ही अलग महत्व है अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती के दिन बच्चे अपने मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं,