रायपुर। रविशंकर विश्वविद्यालय में चंद्रग्रहण के अवसर पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष और नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्र ने छात्रों से मुलाकात कर संवाद किया. इस दौरान उन्होंने छात्रों को चंद्रग्रहण से जुड़ी भ्रांतियों से दूर रहने की अपील की और खगोलीय घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया.


छात्रों के बीच पहुंचकर किया संवाद
डॉ. दिनेश मिश्र रविशंकर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग पहुंचे, जहां प्राध्यापक डॉ. एन. के. चक्रधारी और छात्रों के साथ उन्होंने टेलीस्कोप के जरिए चंद्रग्रहण को देखा. बारिश की संभावना को देखते हुए वहां स्क्रीन पर भी ग्रहण को दिखाने की व्यवस्था की गई थी. इस दौरान डॉ. मिश्र ने अपनी लिखी किताबें भी छात्रों को वितरित कीं.

चंद्रग्रहण: विज्ञान बनाम अंधविश्वास
डॉ. मिश्र ने बताया कि प्राचीन समय में चंद्रग्रहण को राहु-केतु द्वारा चंद्रमा को निगलने से जोड़ा जाता था, जिससे अंधविश्वास पनपते गए. लेकिन विज्ञान ने सिद्ध किया कि चंद्रग्रहण पृथ्वी की छाया के कारण होता है. उन्होंने कहा कि जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है तो उसका एक किनारा काला होना शुरू हो जाता है जिसे ‘स्पर्श’ कहा जाता है. जब पूरा चंद्रमा छाया में ढक जाता है तो पूर्ण ग्रहण होता है.
‘खूनी चंद्रग्रहण’ की हकीकत
कुछ लोग चंद्रग्रहण के लाल रंग को “खूनी चंद्रग्रहण” कहकर डर फैलाते हैं. इस पर डॉ. मिश्र ने स्पष्ट किया कि लाल रंग पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरने वाली सूर्य की किरणों के कारण दिखाई देता है. इसका किसी तरह के दुष्प्रभाव से कोई संबंध नहीं है.
आर्यभट्ट का उल्लेख
डॉ. मिश्र ने कहा कि महान खगोलविद् आर्यभट्ट ने लगभग 1500 वर्ष पहले ही यह सिद्ध कर दिया था कि चंद्रग्रहण केवल खगोलीय घटना है, जो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने से होती है. उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभट्टीय में इसका विस्तृत वर्णन किया है. इसके बावजूद आज भी समाज में भ्रांतियाँ और अंधविश्वास कायम हैं.
भ्रांतियों का खंडन
डॉ. मिश्र ने कहा कि चंद्रग्रहण से संबंधित खाने-पीने की पाबंदियों, गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव और स्नान जैसी मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि चंद्रग्रहण देखना पूरी तरह सुरक्षित है और इसे लेकर डरने या भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की अपील
अंत में डॉ. मिश्र ने नागरिकों से अपील की कि वे चंद्रग्रहण जैसी घटनाओं को वैज्ञानिक नजरिए से देखें और किसी भी अंधविश्वास में न पड़ें. उन्होंने कहा कि यह एक प्राकृतिक और सुंदर खगोलीय घटना है, जिसे हर कोई बिना भय के देख सकता है.