रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने रक्षाबंधन का त्योहार उन ग्रामीण अंचल में मनाया, जहां जादू-टोना, टोनही के आरोप में क्रूरतम शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई थी. पिछले कुछ वर्षों से समिति अंधविश्वास के कारण समाज से प्रताड़ित और बहिष्कृत महिलाओं को जोड़ने की इस मुहिम के अंतर्गत यह आयोजन कर रही है.

समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने अपने साथियों के साथ मंदिर हसौद के नजदीक ग्रामों का दौरा किया और प्रताड़ित महिलाओं और उसके परिजनों से मिली. इस दौरान महिलाओं ने उन्हें राखी बांधी. प्रताड़ित महिलाओं ने बताया कि उन्हें न्याय नहीं मिला है, और तो और दोषी ग्रामीणों को सजा भी नहीं मिली है. समिति की ओर से डॉ. मिश्र ने उन्हें हरसंभव मदद और मार्गदर्शन का भरोसा दिलाया. इसके साथ ही समिति के सदस्यों ने ग्रामीणों से मुलाकात कर टोनही प्रताड़ना से संबंधित पोस्टर-पॉम्पलेट और किताबें भेंट की, जिन्हें पंचायतों में लगाया जाएगा.

समिति के सदस्य ग्रामीणों से मुलाकात कर किसी भी अंधविश्वास में ना पड़ने की समझाइश दी. डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि जादू – टोने का कोई अस्तित्व नहीं है, और न ही कोई महिला टोनही होती है. पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी, तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पशु को होने वाली बीमारियां जादू-टोने से होती है, तथा ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है.

गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरों के बढ़ने से बीमारियां एकदम से बढ़ जाती है, और पूरी बस्ती ही मौसमी, वायरल, संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है. वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है. इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खियां, मच्छर न बढ़े, सोशल डिस्टेंस, हाथों को बार-बार धोने, मॉस्क पहनने, सेनेटाइजर जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.